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यदि समय मे आपको पीछे जाने का अवसर मिटे तो आप क्या बदलना चाहेंगे?

18 November 2022

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विषय - यदि समय मे आपको पीछे जाने का अवसर मिटे तो आप क्या बदलना चाहेंगे?


मेरा जवाब होगा कुछ भी नहीं, और ना ही मैं समय मे पीछे जाना चाहता हूँ। बजाय समय में पीछे जाने के मैं वर्तमान और भावी भविष्य मे बेहतर परिणामों के लिए अथक प्रयास करूँगा और एक सफल रणनीति बनाने का प्रयास करूँगा।

सभी जानते है कि यह सम्भव नहीं किंतु एक लेखक जिसे लोग कल्पनाशील और कल्पनाओं मे जीने वाला समझते है, यह मिथ्या है, कुछ ऐसा ही प्रयास प्रतिलिपि ने भी किया।
लेखक असल मे वर्तमान और भूतकाल की परिस्थिति का अवलोकन कर भविष्य के दूरगामी प्रभाव को कलमबद्ध करता है।
साथ ही जन चेतना को अंकुरित करता है।
उदाहरण के लिए आचार्य चाणक्य को क्या कहेंगे, कितने बड़े दूरदर्शी थे वे जो उनके सूत्र आज भी प्रभावशाली है।

खैर मूल प्रश्न पर आते है, कल्पना और जो असंभव है, फिर भी यदि समय मे पीछे जाने का अवसर प्राप्त होता तो भी हम कुछ बदलाव नहीं कर पाते, आज वर्तमान के हिसाब से हमारी बौद्धिक क्षमता प्रखर है, परंतु समय के साथ पीछे के स्तर पर ही होती।
क्योंकि मनुष्य जाति पर वर्तमान का प्रभाव ही ज्यादा छाप छोड़ता है।
यह सत्य है कि जिसे लोग कल्पनाशीलता समझते है वह एक लेखक की दूरदृष्टि से उपजा एक ऐसा विचार होता है जो परिवर्तनशीलता को प्रेरित करता है।
वर्तमान मे तो उसका कोई मूल्यांकन नहीं होता किंतु निकट भविष्य मे संभावना और जीने के लिए जीवन मे बाध्यता और जरूरत हो जाता है।
मुझे मेरे अतीत में वापस जाकर कुछ नही बदलना क्योंकि उससे मेरे भविष्य का कोई सम्बन्ध नही इसलिए आज केवल वर्तमान की फिक्र करना ही उचित होगा। हमें लगता भी नही कि हमने कुछ ऐसा किया जिसे बदल कर हम कुछ अच्छा कर सकते है क्योंकि बीते हुए कल में हमने जो किया वो हमारे कल की जरूरत थी और आज जो करेगे वो आज की जरूरत होगी।
🔸अतीत की नकारात्मक घटनाओं के कारण आपके लिए वर्तमान में जीना भी मुश्किल हो सकता है। परेशान करनेवाली यादों के कारण आपके लिए सोना या दिन गुजारना भी मुश्किल हो जाता है। आपके जीवन में कोई समय ऐसा जरूर आएगा जब आपको अपने अतीत को भूलना ही पड़ेगा, नहीं तो आपका अतीत ही आपके भविष्य की कहानी को लिखेगा और ऐसा आप कतई नहीं चाहेंगे/चाहेंगी। यह सब जानते हुए भी हम जिस तरह से सोचते हैं, बात करते हैं, या इस दुनिया को देखते हैं, उसमे हम हमेशा अपने अतीत से प्रेरित होते हैं या सच कहा जाये तो अपने अतीत को ढो रहे होते हैं।
🔸अतीत की यादों से घिरे रहने की समस्या को व्यवस्थित करना बिना अंत का अता-पता चले किसी तनी हुई रस्सी पर चलते जाने के समान है।
🔸अगर आप घटनाओं को सीढ़ी दर सीढ़ी देखें और अपने दिमाग को खुला रखें तो ये संभव है कि आप अपने अतीत को अपने अस्तित्व के एक हिस्से के रूप में स्वीकार कर सकें।
🔸आप ऐसी नकारात्मक आदतों को पीछे छोड़ सकते/सकती हैं जो आपको उन सपनों से बाँध के रखती हैं जो कभी पूरे नहीं हुए या फिर उन वादों की याद दिलाती रहती हैं जो तोड़ दिए गए थे।
🔸अतीत की कई बुरी बाते, समय हमे हमेशा परेशान करता है, अतीत में आपने जिन चुनौतियों का सामना किया है, उन्हें स्वीकार करें और अगर कोई ऐसी बात होती है जो आपको किसी ऐसी घटना की याद दिलाती है जिससे आपको काफी बुरा अनुभव हुआ था या आप जोरदार भावनात्मक प्रतिक्रिया करने के लिए प्रेरित हो जाते/जाती हैं तो शांतिपूर्ण तरीके से अपनेआप को समझाने की कोशिश करें कि वास्तव में आपके साथ क्या हुआ था और अभी क्या हो रहा है।
🔸अपने अतीत के बारे में आप जो महसूस करते/करती हैं वो अपनेआप को ठीक से महसूस करने दें।
उदाहरण के लिए, अगर आप अपनेआप को ऐसी सामाजिक परिस्थिति में पाते/पाती हैं जिसमें आपके अंदर अतीत के लिए जोरदार भावनाएं उत्पन्न हो जाती हैं तो इन भावनाओं को दबाने की कोशिश ना करें | ऐसा करने की बजाय अपनेआप को कुछ पल दें और समुह से थोड़े समय के लिए कुछ दूर हो जाएँ।
🔸पहले अतीत पर विचार करने के लिए और आपका अतीत आपके वर्तमान को किस तरह से प्रभावित कर रहा है, ये सोचने में कुछ पल जरूर बिताएं।
🔸कभी-कभी अतीत के अनुभवों के कारण होने वाले सदमे इतने गहरे होते हैं कि ये उन लोगों को भी प्रभावित कर देते हैं जिनकी आपको बहुत परवाह होती है।
🔸अतीत के अनसुलझे अनुभव आपको उन चहेते लोगों से मजबूत रिश्ता बनाने से भी रोक देते हैं जिनकी आप सबसे ज्यादा परवाह करते/करती हैं। इनकी वजह से आप उन सपनों में खोये रहते/रहती हैं जो कभी सच नहीं हो सके।
और इसका ये परिणाम हो सकता है कि आपके आज के सोचने के तरीके और आदतों पर भी असर पड़ता है, और आपकी जिंदगी की परेशानियों का सामना करने की क्षमता कम हो जाती है।
🔸अगर आप ऐसा महसूस कर रहे/रही हों कि आपको “यादों से बाहर निकलना चाहिए”, तो अपनेआप को ये याद दिलाएं कि जैसा आप सोच रहे हैं, वास्तविकता उससे कहीं ज्यादा जटिल है।
🔸मानसिक आघात पहुँचाने वाली घटनाओं के अनुभव आपके दिमाग के काम करने के तरीके को बदल देते हैं।
🔸इस बात को स्वीकार करें कि जो हो चुका है, आप उसे बदल नहीं सकते/सकती हैं लेकिन आप उसे किस तरह से देखते/देखती हैं, ये आप जरूर बदल सकते/सकती हैं।

फ़िलहाल आज के फालतू ज्ञान मे इतना ही...


खोपड़ी तो मंजन हो गई होगी गुरु पर ये भयंकर विस्फोटक टाइप के भौकाली प्रश्न आते कहाँ से है, आइडिया वाले चच्चा की जय हो।
  आपकी खोपड़ी मे दर्द देने वाला प्राणी
आपका अपना...... 😳
✍🏻संदीप सिंह (ईशू)


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कल्पतरु
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कल्पतरु - ज्ञान की छाया स्तम्भ संग्रह परिचय दो बातें आपसे..... प्रिय प्रेरक पाठकों , आप सभी आदरणीय शब्द. इन परिजनों, को मेरा यानि संदीप सिंह (ईशू) का सादर प्रणाम। यह कोई रचना नहीं है, रचनाएं तो निरंतर नित नई आपके सामने लेकर उपस्थित रहूँगा, परंतु कई बार विभिन्न विषयों पर जैसे सामाजिक, समस्या,, व्यंग, हास्य व्यंग, या कई ऐसे विषय दिमाग मे घुमंतू की तरह आते जाते रहते है, उन्हीं पर लिखने के लिए इस "कल्पतरु- ज्ञान की छाया " (आज से पूर्व फालतू के ज्ञान) शीर्षक के साथ विभिन्न मुद्दों विषयों पर लिखूँगा, जो शिक्षाप्रद, मनोरंजन, हास्य, गंभीर, सामाजिक संस्कृतिक होगा। रोजमर्रा की जिंदगी मे कई लोगों, विचारों, घटनाओं से आमना सामना होना एक सहज प्रक्रिया है, एक लेखक होने के नाते कुछ अलग विचार आते है। कुछ लोग इसे दैनन्दिनी समझेंगे, तो क्षमा चाहूँगा यह बिल्कुल दैनन्दिनी नहीं है। यह बस सामाजिक विषयों पर अलग अलग विधाओं के माध्यम से विचार अभिव्यक्ति का संग्रह मात्र है। पढ़ने मे आप बिल्कुल बोझिल नहीं होंगे, बल्कि आप तनाव मुक्त और मुस्कराता महसूस करेंगे। प्रतिदिन का तो वादा नहीं होगा पर उपस्थिति बराबर मिलेगी, मनोरंजन की भरपूर खुराक के साथ। 🔸🔸🔸 ✍🏻संदीप सिंह (ईशू)