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लेखक:–जगदीश जी शर्मा (विदेह) साबुन से तन धोने वालो, मन को तन से धो डालो तो एक विराट जन्म ले लेगा, लगुता की सीमाओ में भी पतझड़ को आश्वासन देकर या बसंत को निर्वासन आशाओं के तीर बांदते फिरते ये आवा