मनमीत हो तुम मेरे
आंखों में सजी
कुछ इंतजार की घड़ियां
इस तरह
जैसे पत्तों पर टंगी
ओस की बूंदे
झिलमिलाते सितारों की तरह ।
अचानक मनमीत की मीठी सी आवाज ने
हौले से कान में गुनगुनाया हो
जैसे
आ रहा हूं तुम्हारे दिल की बातों को
दिल से सुनने ।
पाकर तुम्हारे एहसासों को ही
मैं मैं कहां रह पाती हूं
संग अपनी धड़कनों के साज पर
तुम्हारी धड़कनों को साफ-साफ सुन पाती हूं ।
खुशी से नम हुई आंखों पर
ठहरा ठहरा पानी
कुछ ओस की बूंदो के मानिंद सा लगता है
जया शर्मा प्रियंवदा