नववर्ष के स्वागत में
मन के मुखरित भावों को
शब्दों के जाल में पिरो करके
मैं एक गीत लिखूँ
मन मेरा मेरे मन के गीतों पर
अक्सर मृदु स्मित करता है,
गीतों के रस में मुखरित
मुख की आभा सबका
मन मोह लेती है।
नववर्ष के सुनहरे हर पल पर
आशाओं के दीप प्रज्ज्वलित करके
मन का अनुराग निहारती हूँ
नवदीप जले हर जन के मन मन्दिर में
मधुर गीत गूंज उठे हर आंगन में
मस्तक मस्तक आभा का अभिषेक सजे
आनन्द लहर संग क्रीड़ा कर
बच्चे बच्चे के चेहरे पर
स्मित स्मिता का राग सजे।।
इन्हीं मंगलमयी कामनाओं के साथ आप सभी को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ।।
जया शर्मा प्रियंवदा