हालात ही कुछ ऐसे थे
वक्त का फलसफा और
जज़्बात का वह आईना
जिसमें छनकर निकलीं
आंसुओं की कुछ बूंदें
लम्हों की गुजारिश में
दर्द भरे चुनिंदा पल
खींच ले गए यादों में
जहां गुजारे थे हमने
इक दूजे में डूब कर
रूमानियत से रूबरू
फिजाओं से बेखबर
उम्मीदों की रोशनी
और ज़िंदगी की चाह थी
फिर रेत सा फिसला वक्त
और रह गईं सिर्फ यादें
यही तो है जिंदगानी
यही तो है खूबसूरती
-किशन