उसके मन में झांका तो
बहुत गहरी ख़ामोशी थी अंदर
ना कोई हलचल थी ना कोई आवाज़
जैसे किसी तूफ़ान ने तोड़कर उसे
बिखेर दिया हो रेत बनाकर
अभी - अभी गुज़रा हो जैसे चक्रवात
उड़ा ले गया उसका जहाँ अपने साथ
छोड़ गया खुली जड़ आँखों में बस
आती - जाती बोझ सी हर साँस
इस कदर टुटा वो क्या जुड़ेगा कभी
बीतता समय दे जाये शायद कोई आश।