हम उस मोड़ पर आ चुके हैं
की सब कुछ अब छोड़ कर आ चुके हैं
दर-बदर से ठुकराये उम्मीदें तोड़ कर आ चुके हैं
वो ना मिला तो क्या गिला
हम ख़ुद को उसके पास छोड़ कर आ चुके हैं
उसके अहसास को
अपनी साँस से जोड़ कर आ चुके हैं
जो शुकून तलब और ख़ुशी हैं हमारी
वो हमसे दामन छोड़ कर जा चुके हैं
वो जिनके वादे कई जन्मों के साहब
वो इसी जन्म में वादे तोड़ कर जा चुके हैं
करके रुसवा हमारी मोहब्बत वो
हमसे ही रिश्ता तोड़ कर जा चुके हैं
जिनसे वफ़ा की उम्मीद थी कई अर्से से
आज वो ही वो उम्मीद तोड़ कर जा चुके हैं