गुरु नानक देव जयंती !
(आलेख)
श्री गुरु नानक देव जी जयॅंती सिख धर्म के पहले गुरु, गुरु नानक देव जी के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाई जाती है। इस पर्व को "गुरुपर्व" या "प्रकाश पर्व" के नाम से भी जाना जाता है। गुरु नानक देव जी का जन्म 1469 में रावी नदी के किनारे स्थित तलवन्डी गाँव (अब पाकिस्तान के पॅंजाब में ननकाना साहिब) में हुआ था। उनकी शिक्षाएँ और जीवन दर्शन मानवता के कल्याण का सन्देश देते हैं, जो आज भी लोगों को शान्ति, एकता और भाईचारे के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं।
गुरु नानक देव जी का जीवन और शिक्षा
गुरु नानक देव जी का जीवन असाधारण था। बचपन से ही उनमें गहरी आध्यात्मिकता दिखाई दी और वे ईश्वर को पाने की दिशा में चिन्तन में लीन रहते थे। उन्होंने जीवन में सभी प्रकार के भेदभाव, अन्धविश्वास, और सामाजिक बुराइयों का विरोध किया। उनका मानना था कि "एक ओंकार" यानी एक ईश्वर ही सबका आधार है और उन्होंने इस विश्वास को जन-जन तक पहुँचाने का कार्य किया। गुरु नानक देव जी ने चार प्रमुख यात्राएँ कीं, जिन्हें उदासियाँ कहा जाता है। इन यात्राओं में उन्होंने भारत के साथ-साथ अरब, तुर्की और तिब्बत जैसे दूरस्थ स्थानों की यात्रा कर वहॉं के लोगों को प्रेम, समानता और सेवा का सन्देश दिया।
गुरु नानक देव जी की शिक्षाएँ
गुरु नानक देव जी की शिक्षाएँ आज भी हमारे जीवन में मार्गदर्शन करती हैं। उनके मुख्य सिद्धान्त हैं:
1. नाम जपो - ईश्वर का स्मरण करना, अपनी आत्मा को शुद्ध करना।
2. किरत करो - सत्यनिष्ठा और परिश्रम से आजीविका कमाना।
3. वंड छको - अपनी कमाई को गरीबों के साथ बॉंटना और परोपकार करना।
गुरु जी ने जाति-पाति, धर्म-भेद, और लिंग भेद जैसी सामाजिक बुराइयों का विरोध किया और "सर्व धर्म समभाव" का सन्देश दिया। उनका कहना था कि हर व्यक्ति एक समान है और ईश्वर की सन्तान है। उनका प्रसिद्ध वाक्य "न कोई हिन्दू, न कोई मुसलमान" बताता है कि वे मानवता को किसी विशेष धर्म से अधिक महत्वपूर्ण मानते थे।
गुरु नानक जयॅंती का महत्व और उत्सव
गुरु नानक जयॅंती का पर्व कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस दिन गुरुद्वारों में विशेष पूजा-अर्चना होती है। एक दिन पहले नगर कीर्तन निकाला जाता है, जिसमें गुरु ग्रन्थ साहिब जी की शोभायात्रा होती है और श्रद्धालु कीर्तन करते हैं। इस दिन गुरुद्वारों में "अखन्ड पाठ" का आयोजन होता है, जिसमें गुरु ग्रन्थ साहिब जी का पाठ लगातार 48 घन्टे तक चलता रहता है। इसके साथ ही लॅंगर (भोजन) का आयोजन होता है, जिसमें सभी लोगों को जाति-धर्म से ऊपर उठकर नि:शुल्क भोजन कराया जाता है। यह सामूहिक भोजन प्रेम और समानता का प्रतीक है।
गुरु नानक देव जी का समाज पर प्रभाव
गुरु नानक देव जी ने समाज को एक नई दिशा दी। उनकी शिक्षाओं ने समाज में व्याप्त अन्धविश्वास और रूढ़ियों को समाप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने नारी सम्मान, गरीबों की सहायता, और सेवा भाव को महत्व दिया। गुरु नानक देव जी ने यह सिखाया कि सच्चा भक्त वही है जो दूसरों के दुख को अपना समझे और उन्हें दूर करने का प्रयास करे।
निष्कर्ष
गुरु नानक देव जी का जीवन और उनके आदर्श हम सभी के लिए प्रेरणास्रोत हैं। उनकी शिक्षाएँ न केवल सिख धर्म को बल्कि पूरे मानव समाज को एकजुट करती हैं। गुरु नानक जयॅंती का पर्व हमें उनकी शिक्षाओं को अपनाने, समाज में प्रेम और भाईचारे को बढ़ावा देने और सभी के प्रति समानता का भाव रखने का सन्देश देता है।
आज के समय में, जब समाज में कई तरह के मतभेद और विभाजन देखे जाते हैं, गुरु नानक देव जी की शिक्षाएँ और उनके सन्देश हमें एकता, शान्ति, और मानवता के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं। इस प्रकाश पर्व पर हमें उनके द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलने का सॅंकल्प लेना चाहिए।
बोलो जयकारा "वाहेगुरु जी का खालसा, वाहेगुरु जी की फतेह"!
इंदु भूषण बाली
सॅंरक्षक प्रेस कोर कॉउन्सिल
विश्व कीर्तिमान स्थापितकर्ता, लेखक और भारत के राष्ट्रपति पद का पूर्व प्रत्याशी,
ज्यौड़ियॉं (जम्मू)
जम्मू और कश्मीर