मैं दामिनी अपने परिवार के साथ दिल्ली शहर में रहती हूं। शहर का नाम सुनते ही आपलोग हैरान होंगे क्योंकि ये शहर एक राज्य और भारत देश की राजधानी भी हैं। किंतु में और मेरा परिवार इस शहर के उत्तरी - पूर्वी दिशा की ओर रहते हैं। हम किराए के रूम रहते हैं कुछ समय से नहीं बल्कि 15 सालों से रह रहें हैं वो भी किराए पर ही, ऐसा क्यों ? इसलिए क्योंकि मेरे माता - पिता दोनो ही दिन रात खड़े होकर प्रेस का काम करते मेरा मतलब हैं कपड़ो पर आयरन करने का जो पैसा वो कमाते वो हमारे खाने और किराया में ही खर्च हो जाता इसलिए पैसे वह जमा नहीं कर पाते की खुद का वह अपना मकान ले सके। हम भाई बहनों को भी उन्होंने सरकारी में डाला ताकि अशिक्षित ना रहे शिक्षित रहे। हम 6 भाई बहन हैं जिसमें से मेरी बड़ी थी अस्मिता और दूसरे नंबर की सुष्मिता तीसरे नंबर कि मैं हूं और उसके बाद मुझसे छोटी बहनें सीमा रीमा है और सबसे छोटा मेरा भाई जिसका नाम शिव हैं जो हम सभी को बहुत प्यारा हैं। मैंने घर में बहुत संघर्ष देखें और अपनी दोनों बहनों की शादियां भी देखी आज भी मुझे याद हैं मेरी दोनों दीदी पढ़ना चाहती थी पर घर की ज़िम्मेदारी और रिश्तेदारों की वजह से उनकी बातो की वजह से मम्मी पापाबहुत परेशान हो गए थे और दीदी की शादी करा दी उन्होंने ने भी माता पिता का सम्मान रखने के लिए शादी की क्योंकि उन्हें पता था हमारे समाज की रीत हैं कि लड़की के उम्र होने पर उसकी शादी कराना जरूरी है नहीं तो वह बिगड़ जाएंगी। और माता पिता का भी यही मानना था इसलिए उन्होंने दीदी की शादी करा दी और उन्होंने एक शब्द कहें बिना चुप चाप शादी कर ली वरना पढ़ना भी तो उन्हे भी पसंद था और कामयाब होने का सपना वो भी देखा करती थी इसलिए मैने ठानी थी की में माता पिता की बात नहीं मानूंगी और नाही समाज की बनाई हुई रीत को मानूंगी। जो मेरी बड़ी बहनों के साथ हुआ वो में ना अपने साथ होने देना चाहती हूं और ना ही अपनी छोटी बहनों के साथ ऐसा कुछ होने देना चाहती हूं मैं पढ़ लिख कर कामयाब बनकर अपनी बहनों को पढ़ना चाहती हूं और अपने छोटे भाई को एक जिम्मेदार और एक संस्कारी बेटा बनाना चाहती हूं और एक अच्छा भाई बनना चाहती हूं और सबसे पहले एक अच्छा इंसान बनना चाहती हूं।और यह सब हो सकता है शिक्षित होकर और आत्मनिर्भर बनकर। में यह भी चाहती हूं की अपने माता-पिता की सोच और समाज की सोच को भी बदलना चाहती हूं इसलिए तो मैंने एक लक्ष्य का चुनाव किया और अपना सपना बनाया।कि मैं दिल्ली पुलिस महिला कांस्टेबल की तैयारी करूंगी।और इसका एग्जाम दूंगी और इस परीक्षा को पास करके दिखाऊंगी । और अपने माता पिता का नाम रोशन करूंगी। में उनके लिए खुद का घर खरीदूंगी।
मैंने ये फैसला तो लिया पर बहुत कठिनाई आई। कभी घर कि समस्याओं ने घेरा तो कभी माता-पिता के थके हुए चहरे ने ये सब देख कर मैंने माता पिता कि काम में सहायता करना शुरू किया किया।दिन में माता पिता कि सहायता किया करती और रात में पढ़ाई किया करती।समय के साथ हर एक काम करना सीख गई।
परीक्षा नजदीक आती गई और उसके बाद मैंने अपना पहला अटेम्प्ट दिया दिल्ली पुलिस महिला कांस्टेबल के लिए इसका रिजल्ट आते ही सबको यह पता चल गया की मैंने इस परीक्षा को पास कर लिया है और उसके बाद जब मैं इसकी ट्रेनिंग के लिए जाती और ट्रेनिंग पूरी होने के बाद में यूनिफार्म में आती तो सबसे ज्यादा खुशी मेरे माता-पिता और मेरी बड़ी दीदी होती और मेरी सैलरी जानकर तो बहुत ज्यादा ही खुश हो जाते सब सैलरी 30000 से ऊपर तक की थी जिससे मैं महीने की 30000 कमा सकती और अपने हर एक सपने को पूरा कर सकती थी जो मैंने अपने परिवार अपने माता-पिता अपने भाई बहनों के लिए सोचा था आज वह मेहनत सफल लाई माना की चुनौतियां भी बहुत आए पर मैंने उनका डटकर सामना किया।और आज में ऐसे बनी दिल्ली महिला पुलिस कांस्टेबल दामिनी।