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आज के युग में भी डिग्री।(@दैनिक)

2 April 2023

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सचमुच बहुत हैरान और परेशान हो जाता हूं।जब व्यक्ति की योग्यता का पैमाना डिग्री लगाया जा रहा है। क्या एक सफेद कागज चाहे उसे किसी भी ढंग से हासिल कर लिया जाए।वो व्यक्ति की योग्यता का पैमाना हो सकता है।या फिर 140 करोड़ लोग जो एक व्यक्ति को चुनकर भेजते हैं।उसकी नेतागिरी स्वीकार करते हैं।ये कैसा योग्यता का पैमाना है।मैंने कहीं भी शेक्सपियर, कालीदास, तुलसीदास, बाबा फरीद की डिग्री की बात नहीं सुनी। लेकिन वो जो लिख गए।वो आज के पीएचडी और डीलिट से भी बेहतर है। सबसे हैरानी की बात ये है।कि इन्हीं लोगों पर आज हम पीएचडी करते हैं।और हम डिग्री पाते हैं।जब की इनके पास कोई भी डिग्री नहीं थी।मेरा मानना है।कि योग्यता का पैमाना डिग्री नहीं हो सकता।ये व्यक्ति की काबिलियत हो सकता है।जो की एक सफेद कागज नहीं बता सकता।

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सचमुच बहुत हैरान और परेशान हो जाता हूं।जब व्यक्ति की योग्यता का पैमाना डिग्री लगाया जा रहा है। क्या एक सफेद कागज चाहे उसे किसी भी ढंग से हासिल कर लिया जाए।वो व्यक्ति की योग्यता का पैमाना हो सकता है।या

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