कविता रचना कार
नारायण सिंह नेताम
न जाने मैं
कब मर जाऊं
दुनिया में मेरे
कविता छोड़ जाऊं
मेरे चांदन स्कूल में
मेरे नाम की
याद छोड़ जाऊं
मेरे प्यार की हाथ मिट जाऊं
नारायण सिंह नेताम
कविता छाप जाऊं
आकाश में मेरा
नाम कर जाऊं
मेरे स्कूल की
सभी गुरुजनों को
प्रणाम कर ऊपर
न जाने कब चला जाऊं
मेरे सभी परिवार को
मेरे सभी दोस्तों को
दिल से याद कर जाऊं
न जाने मैं कब मर जाऊं