Meaning of मजबूत in English
- Formed into a solid mass; made firm; consolidated.
- To make solid; to unite or press together into a compact mass; to harden or make dense and firm.
- To unite, as various particulars, into one mass or body; to bring together in close union; to combine; as, to consolidate the armies of the republic.
- To unite by means of applications, as the parts of a broken bone, or the lips of a wound.
- To grow firm and hard; to unite and become solid; as, moist clay consolidates by drying.
- of Consolidate
- Evincing strength; indicating vigorous health; strong; sinewy; muscular; vigorous; sound; as, a robust body; robust youth; robust health.
- Violent; rough; rude.
- Requiring strength or vigor; as, robust employment.
- In a solid manner; densely; compactly; firmly; truly.
- Having active physical power, or great physical power to act; having a power of exerting great bodily force; vigorous.
- Having passive physical power; having ability to bear or endure; firm; hale; sound; robust; as, a strong constitution; strong health.
- Solid; tough; not easily broken or injured; able to withstand violence; able to sustain attacks; not easily subdued or taken; as, a strong beam; a strong rock; a strong fortress or town.
- Having great military or naval force; powerful; as, a strong army or fleet; a nation strong at sea.
- Having great wealth, means, or resources; as, a strong house, or company of merchants.
- Reaching a certain degree or limit in respect to strength or numbers; as, an army ten thousand strong.
- Moving with rapidity or force; violent; forcible; impetuous; as, a strong current of water or wind; the wind was strong from the northeast; a strong tide.
- Adapted to make a deep or effectual impression on the mind or imagination; striking or superior of the kind; powerful; forcible; cogent; as, a strong argument; strong reasons; strong evidence; a strong example; strong language.
- Ardent; eager; zealous; earnestly engaged; as, a strong partisan; a strong Whig or Tory.
- Having virtues of great efficacy; or, having a particular quality in a great degree; as, a strong powder or tincture; a strong decoction; strong tea or coffee.
- Full of spirit; containing a large proportion of alcohol; intoxicating; as, strong liquors.
- Affecting any sense powerfully; as, strong light, colors, etc.; a strong flavor of onions; a strong scent.
- Solid; nourishing; as, strong meat.
- Well established; firm; not easily overthrown or altered; as, a strong custom; a strong belief.
- Violent; vehement; earnest; ardent.
- Having great force, vigor, power, or the like, as the mind, intellect, or any faculty; as, a man of a strong mind, memory, judgment, or imagination.
- Vigorous; effective; forcible; powerful.
- Tending to higher prices; rising; as, a strong market.
- Pertaining to, or designating, a verb which forms its preterit (imperfect) by a variation in the root vowel, and the past participle (usually) by the addition of -en (with or without a change of the root vowel); as in the verbs strive, strove, striven; break, broke, broken; drink, drank, drunk. Opposed to weak, or regular. See Weak.
- Applied to forms in Anglo-Saxon, etc., which retain the old declensional endings. In the Teutonic languages the vowel stems have held the original endings most firmly, and are called strong; the stems in -n are called weak other constant stems conform, or are irregular.
- Violence; force; power.
- Strongyloid.
- Like, or pertaining to, Strongylus, a genus of parasitic nematode worms of which many species infest domestic animals. Some of the species, especially those living in the kidneys, lungs, and bronchial tubes, are often very injurious.
- A strongyloid worm.
Meaning of मजबूत in English
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- शीर्षक :" ये मसला सिर्फ हँसी का है "
तु आसमा क्यु तकता है,
हर एक लफ्ज़ तो इस ज़मी का है ।
तु इतना क्यूँ सोचता है,
ये मसला सिर्फ हँसी का है ।
यू देख कर सितारों को,
क्यु नम करता है,पल्कों के किनारों को,
जरा देख इन खूबसूरत नजारों को,
बाग में और भी फुल हैं,
क्यु उलझा है, ये दुनिया का उसूल है,
खुद ब खुद भर जायेगा, तु फिकर ना कर,
भूल जा दिल के दरारों को ,
ये असर इश्क़ मे मयकशी का है..
तु आसमा क्यु तकता है,
हर एक लफ्ज़ तो इस जमी का है,
तु इतना क्यु सोचता है.... ।।
जो चले गए वो नही हैं , जिंदगी निवाहने वाले,
कोई और होगी रहगुजर, दुनिया बहुत बड़ी है,
बहोत मिलेंगे चाहने वाले,
तु खुद से ना खुद को इतना सता,
तेरी आँखों में कोई खोट नही
ये बात अपने दिल को तो बता,
अब यहाँ ऐसे ही होता है, कहाँ
अब कोई किसी के लिए रोता है,
खुद को मजबूत कर, उसको हटा,
रात गुजार, सुबह होते ही बाग मे
एक फुल खिल जायेगा,
यकीन कर, खुद पर, खुदा पर,
उससे बेहतर कोई मिल जायेगा,
तु बस उसी का नाम क्यु जपता है..
यूँ खामोशी मे आसमा क्यु तकता है,
सारा मसला तेरी मायूशी का है,
तु इतना क्यु सोचता है,
ये मसला सिर्फ हँसी का है ।।
तु जी कर तो देख पहले की तरह,
नजारों मे कोई कमी नही होगी,
मै लिख कर देता हूँ तुझको,
फिर कभी नजरों मे नमी नही होगी,
वहम है, सारे गम, हमी को है...
तु इतना क्यु सोचता है,
हर लफ्ज़ तो इस ज़मी का है ,
हुआ कुछ नही, ख़ाब भूल कर तो देख,
ये मसला सिर्फ तेरी हँसी का है.. ।।
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IG : @meri_lekhani_
Author Munna Prajapati
#post #poetry #poetrychallenge #poetrylovers #poem
- #poetry "१५ अगस्त.... "
आज वह शख्स भी आजादी की
गाथाएँ गाते हुए नजर आया,
जिसने जाती और मजहब मे
लोगों को उलझा कर रखा है ।
उसने हमेशा बतलाया है के तुम बड़े हो,
तुम्हे बड़ा होना चाहिए और
सबसे आगे होना चाहिए,
तुम हिंदू हो तुम मुश्लिम हो
तुम सिख हो तुम ईसाई हो,
और आज मंच पर, कुछ लोगों के बीच
कह रहा था के हम भारत वासी एक हैं ।
जो अपने फायदे के लिए अपनी
शान के लिए, अपने पद के लिए
जाने कितनों को मौत के घाट उतार दिया होगा!
वह शख्श आज मंच पर, तिरंगे के सामने
इस देश को मजबूत बने रहने का
शिक्षा दे रहा था ।
जो हमेशा लोगों को कम शिक्षित
रखने का उपाय ढूंढता रहा, वह
आज मंच पर विद्यार्थियों के सामने
उच्च शिक्षा पाने की हौशला दे रहा था ।
कुछ शहीदों के बारें मे, उनका चरित्र
चित्रण कर रहा था, अल्पज्ञ लोगों को
समझा रहा था, आजादी कैसे हुयी
इसकी गाथा सबको सुना रहा था जिसने
अपने कर्मों का किताब कहीं
छुपा कर रखा है ।
बहोत बड़ी बड़ी बातें की उसने,
वह सब उसकी जुबानी थी, और
सच तो ये है की वह सब किसी की
लिखी हुयी कहानी थी ।
उसने ये नही कहा कि अस्पताल में,
मरीजों (गरीबों ) को क्यूँ रुलाते हो,
उचे पद पर बैठकर लूट पाट क्यूँ मचाते हो,
किसी मशले को हल करने मे
इतना वक़्त क्यूँ लगाते हो ।
वो लोग भी क्या अजीब थे
जो उसके चिकनी बातों के करीब थे,
तालियां बज रही थी, जय हिंद के
नारे भी लग रहे थे परंतु.....
हिंदुस्तान को जिताने का या फिर
जश्न ए जीत का भाव किसी के
दिल मे नहीं था ।
सब इसी मे डूब गए, के, कब, कैसे
और किसने आजादी दिलायी,
कितनी मुशक्कत् स्वतंत्रता सेनानियों ने
उठायी... बस इन्ही सब बातों पर
हम सबको फुसला कर रखा है ।
आज वह शख्स भी आजादी की
गाथाएँ गाते हुए नजर आया, जो
इस जमी का खाता है, इसी जमी पर
रहता है, हम लोगों के बीच जीता है मगर
भला सिर्फ अपना सोचता है,
मै भी चाहता हूँ,
आजादी की शुभकामनाएँ दूँ... पर
किसे दूँ.... किसे....... 😥
✍️ Author Munna Prajapati
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