Meaning of जीत in English
- To gain or acquire by force; to take possession of by violent means; to gain dominion over; to subdue by physical means; to reduce; to overcome by force of arms; to cause to yield; to vanquish.
- To subdue or overcome by mental or moral power; to surmount; as, to conquer difficulties, temptation, etc.
- To gain or obtain, overcoming obstacles in the way; to win; as, to conquer freedom; to conquer a peace.
- To gain the victory; to overcome; to prevail.
Meaning of जीत in English
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- और वह जीत गई
- दहेज हार गया.. बलात्कार जीत गया..
- तुम जीत गयी.. मैं हार गया... 😢😥
- #poetry शिर्षक :" हम बेवक़्त मे वक़्त के गुजारे निकले "
हम बेवक़्त मे वक़्त के, गुजारे निकले,
वो जीत गए हमसे और, हम हारे निकले ।
हो गया कोई धनी इश्क़ के बाजार में,
जो भी थे मेरे हिस्से मे, खसारे निकले ।
हम उन्हे ढूढ़ते रहे, समंदर के भवर में,
और वो हमे छोड़कर, किनारे निकले ।
हमारा वजूद मिट गया होता मगर..
कसहुँ...हम तिनकों के सहारे निकले ।
हम सोचते थे उनका सब कुछ, हम ही हैं,
जरा नाराज हुए, उनके अपने हजारों निकले ।
लगा जन्नत मिल गयी उन्हे, दोलत पाकर,
दिनों बाद सड़क पर, हाथ पसारे निकले ।
जोरों से प्यास लगी, बुझाने को लपका,
पीने गया, पानी, समंदर जस खारे निकले ।
नजरें झुकी, ख़ाबों मे भर के खजाने मिले,
और खुली तो...औरों के नजारे निकले ।
जो देखा एक मर्तबा, खुली आसमॉं के तरफ,
सांसे रुकी और... मौत के इशारे निकले ।
दौलत की चाह ने ,उनपर शिकस्त किया,
लगी खंजर उनके सीने मे,जान हमारे निकले ।
✍️ Author Munna Prajapati
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- #lyrics #bhojpuri केतना करी हम बहाना...
छीनलस चैना गुजरे ना रैना,
केतना करी हम बहाना....।
उ चांद के जईसन चेहरा,
बन गईल हमारा ,अखियन के पेहरा....
का देखीं अब हम, कुछु नजर ना आवे,
याद बस ...ओकरे सतावे....
का कहीं बिन ओकरा , कुछउ कहाय ना.....
केतना करी हम बहाना...
छीनलस....... केतना....... ।
सच बा बिन ओकरा, हम जी ना सकिले,
कइसे कहीं केतना, भितरे हर पल तड़पीले....
अईसे बुझाला कहीं से, उ हमके बोलावे,
सब कुछ लउके एहीजा, बस उहे नजर ना आवे.....
सोच मत..आ, कुछ ना करी ई जमाना.....
केतना करी हम बहाना.....
छिनलस........ केतना....... ।
प्यार में तोहरा हो गईनी हम पागल,
रफ्ता रफ्ता दिन जिंदगी के..ढले लागल....
आस बा लागल एगो मीत के, प्रीत के जीत के....
बिछडन से तड़पन से जिनगी ना मिले,
आईल मौत कहीं ना....
केतना करी हम बहाना....
छीनलस...,. केतना...... ।
✍️Author Munna Prajapati
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नोट:- यदि आप इस गीत को व्यापारिक तौर पर रिकॉर्ड करके रिलीज करना चाहते हैं तो कर सकतें हैं परंतु हमारी अनुमति लेने के बाद, हमारी अनुमति अनिवार्य है । और भी किसी भी तरह के गीतों के लिए संपर्क करें । धन्यवाद🙏
- #lyrics #bhojpuri ना बा केहु आपन एह जग मे....
ना बा एह जग मे केहु आपन,
अब कहीं सब से... २
सगा रहल उ जवन कईलस
दगा हमसे... ..
ना बा एह जग मे केहु आपन,
अब कहीं सब से.... २
धईं जज्बात हामार हाथ, उ शाजिश कईलस,
मारे ला हामारा जिनगी मे, उहे विष धयिलस... २
दिल के हर बात हम
कहत रहीं ओहसे... ..
ना बा एह जग मे केहु आपन
अब कहीं सब से... २
सब रिश्ता खाली नाम के अब रह गईल बाटे,
लोगवा अस मतलबी हो गइल बाटे... २
सुख मे पईनी दुख मे केहु
लोर ना पोछल् जबसे....
ना बा एह जग मे केहु आपन
अब कहीं सब से.... २
करिह खेआल कबो पयीबs अपने,
कवनो अन बन मे,
जीत जईबs दुनिया बाकी, हरबs
अपनन से.... २
सब लगाव इहवा बाटे रचित
पइसे से....
ना बा एह जग मे केहु आपन,
अब कहीं सब से.... २
~ मुन्ना प्रजापति
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- #poetry "१५ अगस्त.... "
आज वह शख्स भी आजादी की
गाथाएँ गाते हुए नजर आया,
जिसने जाती और मजहब मे
लोगों को उलझा कर रखा है ।
उसने हमेशा बतलाया है के तुम बड़े हो,
तुम्हे बड़ा होना चाहिए और
सबसे आगे होना चाहिए,
तुम हिंदू हो तुम मुश्लिम हो
तुम सिख हो तुम ईसाई हो,
और आज मंच पर, कुछ लोगों के बीच
कह रहा था के हम भारत वासी एक हैं ।
जो अपने फायदे के लिए अपनी
शान के लिए, अपने पद के लिए
जाने कितनों को मौत के घाट उतार दिया होगा!
वह शख्श आज मंच पर, तिरंगे के सामने
इस देश को मजबूत बने रहने का
शिक्षा दे रहा था ।
जो हमेशा लोगों को कम शिक्षित
रखने का उपाय ढूंढता रहा, वह
आज मंच पर विद्यार्थियों के सामने
उच्च शिक्षा पाने की हौशला दे रहा था ।
कुछ शहीदों के बारें मे, उनका चरित्र
चित्रण कर रहा था, अल्पज्ञ लोगों को
समझा रहा था, आजादी कैसे हुयी
इसकी गाथा सबको सुना रहा था जिसने
अपने कर्मों का किताब कहीं
छुपा कर रखा है ।
बहोत बड़ी बड़ी बातें की उसने,
वह सब उसकी जुबानी थी, और
सच तो ये है की वह सब किसी की
लिखी हुयी कहानी थी ।
उसने ये नही कहा कि अस्पताल में,
मरीजों (गरीबों ) को क्यूँ रुलाते हो,
उचे पद पर बैठकर लूट पाट क्यूँ मचाते हो,
किसी मशले को हल करने मे
इतना वक़्त क्यूँ लगाते हो ।
वो लोग भी क्या अजीब थे
जो उसके चिकनी बातों के करीब थे,
तालियां बज रही थी, जय हिंद के
नारे भी लग रहे थे परंतु.....
हिंदुस्तान को जिताने का या फिर
जश्न ए जीत का भाव किसी के
दिल मे नहीं था ।
सब इसी मे डूब गए, के, कब, कैसे
और किसने आजादी दिलायी,
कितनी मुशक्कत् स्वतंत्रता सेनानियों ने
उठायी... बस इन्ही सब बातों पर
हम सबको फुसला कर रखा है ।
आज वह शख्स भी आजादी की
गाथाएँ गाते हुए नजर आया, जो
इस जमी का खाता है, इसी जमी पर
रहता है, हम लोगों के बीच जीता है मगर
भला सिर्फ अपना सोचता है,
मै भी चाहता हूँ,
आजादी की शुभकामनाएँ दूँ... पर
किसे दूँ.... किसे....... 😥
✍️ Author Munna Prajapati
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