Meaning of चोट लगाना in English
Meaning of चोट लगाना in English
English usage of चोट लगाना
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- #poetry खुशी देखी नही जाती....
किसी की खुशी कहाँ किसी से देखी जाती है,
गर कोई खुश है तो किसी की नेकी जाती है ।
कहीं कोई भूखा मरता है तो ,
कहीं अन्न फेकी जाती है,
कहीं गर्दन पर तलवार रखी है ,
तो कहीं गर्दन रेती जाती है,
भाई - भाई से भाई को लड़ाकर
घर भेदी जाती है ।
यहाँ अपनी तकलीफ ,मुशिबत ,
किसी और को दे दी जाती है,
यहाँ किसी और का दुःख नही ,
खुद की वफा लिखी जाती है,
कुछ सीखना है तो हारना होगा,
यहाँ हारकर ही सीखी जाती है ।
ये जिंदगी तो अब दवाओं पर चल रही है ,
मन की पहलुएं पल - पल बदल रहीं हैं,
अभी खुश, अभी द्वेष, अभी कलेश,
प्रत्येक हृदय यहाँ एक दूसरे से जल रहीं हैं ।
मन का चोट यहाँ दूसरों के
हंसी ठहाकों से सेकीं जाती है,
गर कोई खुश है तो किसी की नेकी जाती है,
किसी की खुशी कहाँ किसी से देखी जाती है ।
~ मुन्ना प्रजापति (उ. प्र.)
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Don't copy/paste please....
- #lyrics #bhojpuri सजा दिहिं कईसे....
घर हामार जरवलस ,केहु अपने,
हो..सजा दिहिं कईसे... २
नीर नैना से ना निकले, चोट
जमाना के, दिखा दिहिं कईसे....
घर हामार जरवलस ,केहु अपने,
हो.. सजा दिहिं कईसे.... २
ए ही रे घर मे उ तs कबसे रहत रहे,
सजाईब अंगना खुशियन से उ कहत रहे... २
कश्ती दरिया में डूबवलस हो
दुश्मन के जइसे...
घर हामार जरवलस, केहु अपने,
हो.. सजा दिहिं कईसे... २
खता कई दिहनी हम, केहूसे वफा कयीके,
लयिनी जिनगी मे आ, दिल मे आसरा देयीके... २
कईलस खतम हमारा के, खाये
बिछुआ जननी जईसे...
घर हामार जरवलस, केहु अपने
हो.. सजा दिहिं कईसे... २
साँच् के साथ केहु ना देबे, फरेबी मन भावे,
चाही नाही दिल रचित, दौलत के अपनावे... २
रुक जाईत समईया तs, पूछती
काहें कईलू अईसे...
घर हामार जरवलस, केहु अपने
हो.. सजा दिहिं कईसे.. २
~ मुन्ना प्रजापति
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नोट : यदि आप इस गीत को व्यापारिक तौर पर रिकॉर्ड करके रिलीज करना चाहते हैं तो कर सकते हैं परंतु हमारी अनुमति लेने के बाद, हमारी अनुमति अनिवार्य है । धन्यवाद🙏 +९१७८९७८६८६२५
- #lyrics #hindi इतनी दूर चला जाऊंगा...
ढूढ़ते रह जाओगे मुझको तुम,
मिलना तो बहोत दूर की बात है,
मै कभी नजर भी नहीं आऊंगा
एक रोज, इतनी दूर चला जाऊंगा.... ।
आँखों से बेहती आशुओं मे भीगतें हैं,
अकेले तन्हा हर पल तुम्हे ही ढूढ़ते हैं,
भर गया अब शायद जी तुम्हारा ...
जरा भी ना सोचा क्या होगा हमारा... ।
मत चिल्लाओ मुझ पर, मै
चला जाऊंगा....
तुम्हे कभी नजर भी नहीं आऊंगा,
एक रोज, इतनी दूर चला जाऊंगा.... ।
है अपनों का शहर हम, अजनबी होकर
जीते हैं,
चोट दिया है दिल को दिल लगी ने,
हम खुद ही जख्मों को सीते हैं.... ।
मचल रही हो आज तुम हुश्न की आड़ में,
पाओगी एक रोज उलझी हुई खुद को ,
काँटों की झाड़ मे... ।
धक्के मार कर ना भगाओ.. चला जाऊंगा...
तुम्हे कभी नजर भी नहीं आऊंगा
एक रोज, इतनी दूर चला जाऊंगा..... ।
~ मुन्ना प्रजापति
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नोट: यदि आप इस गीत को व्यापारिक तौर पर रिकॉर्ड करके रिलीज करना चाहते हैं तो कर सकतें हैं, परंतु हमारी अनुमति लेने के बाद, हमारी अनुमति अनिवार्य है । धन्यवाद🙏 078978 68625
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