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Shayar

15 January 2024

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जिंदगी जीने की मेरी ख्वाहिश थी, 
अपने छोड़कर गैरों पर चाहत थी|
गैरों के चक्कर में अपनों को भूला बैठे,
जब अपनों ने दिया सहारा तब गैर रूला बैठे||

जिंदगी का सफर अधूरा ना हो,
बेवफा का इश्क पूरा ना हो|
आशिकी के खेल मैं ए-दोस्त,
कोई वे सहारा ना हो||
***Neetesh Shakya***
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Neetesh Shakya UP84
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जिंदगी जीने की मेरी ख्वाहिश थी, अपने छोड़कर गैरों पर चाहत थी| गैरों के चक्कर में अपनों को भूला बैठे, जब अपनों ने दिया सहारा तब गैर रूला बैठे|| जिंदगी का सफर अधूरा ना हो, बेवफा का इश्क पूरा ना हो| आशिकी के खेल मैं ए-दोस्त, कोई वे सहारा ना हो||