पतझड़ के बाद
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पतझड़ के बाद🍂🍁
सूखे पत्तों से भरे रास्तों पर
तुम संग की गई बातें है
मेरे जीवन की सबसे सुन्दर बातें ..!
तुम संग,
ताउम्र यूँ ही साथ चलते रहने की बातें
मुझे याद दिलाती है
उस ख़ूबसूरत अहसास को
जो जिया था हम दोनों ने साथ मिलकर..!
तुम जब कहती थी
अखिल ये पतझड़ हर साल क्यूँ आता है ,
तो मैं हँसकर कहता था
क्यों कि पतझड़ हमें स्मरण कराता है
कि तकलीफें कितनी भी हों रिश्ता कितना भी बिखरा क्यों न हो
हमें नई शुरुवात जरूर करनी चाहिए और तुम कहती थी हाँ .... जैसे हम करते है हर बार अपने हर झगड़े के बाद.. और फिर हम दोनों हसने लगते थे...!
आज भी मैं,
पतझड़ से भरे रास्तों पर चलता हूँ
तुम्हारी स्मृतियों के साथ ... और गुनगुनाता रहता हूँ तुम्हारे पसंदीदा गीत ...!
मैं जानता हूँ तुम जहाँ भी होगी
तुमने इकट्ठे किए होंगे
पतझड़ के बाद के सुखेपत्ते और बनाती रहती होगी हम दोनों की स्मृतियों को अनन्त तक ले जाने वाला एक पुल.... !
अखिल🍂