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तुम क्यूं नहीं आये ?बहुत आनंदायक थीं अपनी अल्हड़ बात हर पल रहते थे दुनिया से अलग एक ही साथना कोई परवाह ,न थी किसी बात का डर चिंता नहीं, व्यस्तता नहीं, अमराई में खेलते थे दिनभरमित्रों स
आज तक जीवमात्र आधारहीन काम,क्रोध, लोभ,मत्सर और भ्रमजाल में हैकितना आश्चर्य, कितना पूर्वाग्रह और कितना उचितसदाचार खोकर मुहाल में हैनहीं रहा है कुछ उसके मु