""दोस्तों अगर आपने कभी किसी से सच्चा प्यार किया है जिसके लिए आपने कई रातें औऱ दिन कुर्बान किया है तो ये कहानी आपके अतीत की यादों को ताजा कर देंगी औऱ आप एक बार फिर से उन यादों में जीने की कोशिश करेंगे। दिल थाम के पढ़िए अपनी बेहतरीन लव स्टोरी... ""'पेपर बॉय"""""(भाग-1) By_Arjun Allahabadi कहते हैं कि ऊँचे ख़्वाब हर किसी को देखना चाहिए ,और फिर बुराई ही क्या है ख्वाब देखने मे ।हम सब ख़्वाब देखते हैं कोई बंद आँखों से तो कोई खुली आँखों से ।यह बात और है कि किसी किसी का ही ख़्वाब सच में तब्दील होता है। जो लोग अपनी मजबूरियों का रोना रोते हैं वो मुझे पसंद नही हैं ,जो अपने दम पर अपनी इबारत लिखते हैं वो ही दुनियां में जाने जाते हैं। हाँ एक बात और....ये जो मोटिवेशनल बुक्स होती हैं न इसे पढ़कर कुछ नही होने वाला ..."तुम खुद लिखो न बुक्स अपनी सफलता पर ...लोग आपको पढ़ेंगे .." ।.बड़ा हो कर मैंने एक बात गांठ बांध रखी थी ""इंसान किसी गरीब घर में पैदा होता है ,इसमें उसका कोई दोष नहीं ,लेकिन अगर गरीब हो कर मर जाता है तो इसमें उसका 100% दोष है""। अब बताओ क्या मैंने गलत कहा क्या ....? इसी उधेड़ बुन में मेरी हर रात ऐसे ही खुली आँखों में गुजर जाती थी। कैद करने को कुछ था ही नही। सुबह के 3 बजे तैयार हो कर अपनी साइकिल से घर -घर अखबार बाँटना मेरा नित्य कार्य था जिसे मैं मजबूरी में नही बल्कि ख़ुशी ख़ुशी करता था ,क्योंकि काम कोई छोटा बड़ा नही होता है बल्कि काम करने के तरीके से इंसान बड़ा बनता है। कितना कुछ भरा पड़ा है मेरी खाली जिंदगी में आपको बताने के लिए ....आप सोच रहे हैं ? खाली भी है और भरा भी है।🤔 ये कैसा बेमेल शब्द है? लेकिन सच कहता हूँ राम कसम .....ऐसा ही है ।जब आप किसी को दिल से चाहो और वो न मिले तो जिंदगी खाली ही तो होती है न साहेब। 😊 भले आप एक सफल इंसान बन जाओ लेकिन जब आपकी पसंद आपके साथ न हो तो ..मुझे लगता है खाली शब्द सही बैठता है ।।आप को क्या लगता है ? रोज़ सुबह जब आप अपने घरों में चैन की नींद सोते हैं तो हमारे जैसे तमाम अखबार बांटने वाले लड़के अपने सपनों को पूरा करने के लिए साइकिल की तेज़ रफ़्तार से शहर का चप्पा-चप्पा छान मारते हैं 2 रूपये की कीमत वाला अखबार बेच कर खुद का और अपनों का पेट पालते हैं। पिता के गुजर जाने के बाद मां ने दूसरी शादी कर ली।आखिर करती भी क्या बेचारी ,दुनियां की