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पेड़ और उसकी जड़ें

25 October 2022

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राहुल नाम का लड़का जिसकी उम्र 16 कि थी । गुरुग्राम से अपने गाँव अपने दादा जी के पास गर्मी कि छुट्टियों में गया । वह बहुत सुंदर लग रहा था, उसने चहरे पर फेयर लवली, बालों में जैल, आँखों पर रेबन के चश्मे, जींस की पैंट, टी-शर्ट और जूते नाइक के पहने थे । हाथ में एप्पल का लेटेस्ट मॉडल लिए हुए सोफ़ा पर बैठकर सॉन्ग सुन रहा था । तभी बाहर से उसके दादा जी घर पर आए और उन्होंने कहा बेटा सीमेंट वाली टंकी से पानी लेकर मेरे हाथ साफ करा दो । परन्तु पोते ने ध्यान नहीं दिया, दादा ने फिर कहा तो पोता ने कहा खुद धो ले ना । दादा को अजीब लगा पर दादा ने कुछ न कहा । दिन भर ऐसे ही छोटे – छोटे वाक्ये होते रहे और शाम हो गई । शाम को दादी ने कहा बेटा पूर्वजों (पितर) ओर ईश्वर कि ज्योत जला दो । लड़का फटाक से बोला मैं भगवान को नहीं मानता और पूर्वज (पितर) तो मर चुके हैं तो ज्योत जलाने से क्या होगा ? तब दादा-दादी भोंचक्के रह गए । तभी लड़के कि माँ उसके बचाव में बोली कुछ नहीं माँ जी आजकल के बच्चे ऐसे ही हैं । खाना खाने के बाद सभी एक जगह बैठे थे तभी दादा जी बोले आम किस – किस को पसंद है ? सभी ने हाथ उठा कर कहा हमें पसंद है । फिर पूछा पेड़ पर आम कहाँ लगता है ? पोते ने कहा टहनी पर, फिर दादा ने कहा टहनी कहाँ लगी होती है ? सबने कहा शाखा पर, फिर पूछा शाखा कहाँ लगी होती हैं ? सबने कहा तने पर, फिर पूछा तना कहा लगा होता है ? पोते ने कहा जड़ों से लगा होता है । फिर दादा ने पूछा जड़ें कहा लगी होती हैं ? बेटे ने कहा पिताजी जमीन में, फिर पिता जी ने पूछा जमीन कहाँ पर है ? तो पोते ने कहा आकाश गंगा में दादा जी, फिर दादा जी ने कहा ओर ये आकाश गंगा कहा पर ? पोते ने कहा अनंत ब्रह्मांड में है दादा जी । तभी दादा जी ने पूछा यदि ब्रह्मांड ही ना हो तो क्या पृथ्वी होगी ? बहू बोली नहीं पिता जी, दादा ने फिर पूछा यदि धरती माँ नहीं है तो पेड़ होगा ? तो बेटे ने कहा नहीं पिता जी, दादा जी ने अपने पोते कि तरफ इसारा करके फिर पूछा यदि पेड़ ही नहीं है तो आम खा पाओगे ? बस इस प्रश्न के सुनते ही सब समझ गए कि दादा क्या समझाना चाहते थे । उम्मीद है आप लोग भी समझ गए होंगे । 
कहानी का भावार्थ : अपने संस्कार और संस्कृति से ऐसे जुड़े रहें जैसे पेड़ अपनी जड़ों से, और भगवान पर ऐसे भरोसा रखे जैसे पेड़ का धरती पर व धरती का ब्रह्मांड पर भरोसा है ।
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तुम मॉडर्न नहीं हो !!
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सब कुछ ठीक था जब तक उसने ये नहीं कहा कि "क्या तुम्हें अंग्रेजी आती ? नहीं आती तो तुम कुछ नहीं हो" । क्या भाषा ही किसी की एकमात्र पहचान है ? ये मैं तो बिलकुल नहीं मानता, भाषा के अलावा भी लाखों तरह की पहचान हैं और सबसे अच्छा पहचान का माध्यम व्यक्ति के गुण ओर उसका व्यवहार हैं । ये दोनों ही इस बात पर निर्भर करते हैं की उसे कैसे संस्कार मिले हैं, उसकी संस्कृति कैसी है तथा वह किन परिस्थितियों में से निकला है । उम्मीद है सभी पाठकों को इसे पढ़ने के बाद मेरे विचार समझ आयेंगे । अगर कोई तरुटी हो तो कृपया सही करने का प्रयास करें । धन्यवाद