गिले सिकबे सब दूर कर के आज नये साल की नई उम्मीदों को जगाते हे चलो सब कुछ भूल के हम दोस्ती की और एक कदम बढ़ाते हे जिसने कभी पूछा नहीं केसे हो आप आज हम उन से दोस्ती का हाथ बढ़ाते हैं वह गिले सिक्बे दूर कर के आज दोस्ती का हाथ बढ़ाते हैं आओ हम सब मिल के नया साल मनाते है .
( राजेश कुमार ) धन्यवाद