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मेरी कामयाबी की शुरुआत कुछ इस तरह से हुई पहले थोड़ी मुसीबतें आई उलझाने यहीं पर थी मैं कैसे खड़ा ना सीखा पहले कितना सीखा फिर मैंने सच को स्वीकार न सीखा तभी मेरा हौसला और पढ़ता रहा मैंने पहली ऐसी कविताए