1 October 2022
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मै एक छोटा युवा रचनाकार हूं D
वो आंचल, पेड़ की छांवआनंदमय,नींद देती छांवटूटे उम्मीद,बने हौसलाजन्म दिया,नया जीवन दियाजीवनदाता ने,बहुत स्नेह दियारोता हूं मैं,आंसू पोछतीजहन से मेरे,दर्द पोछतीसनाटा छाया,गई मांबीच सफर,छोड़ गई मांवो कमी
वो कोमल कपास,छोटे-छोटे हाथउंगली पकड़े,बड़े थामे हमारा हाथपहले वादन,फिर चलन सिखाचरण शिखर,चढ़ना सिखाचलते-चलते,डगमगागते हमआगे बढ़ते-बढ़ते,गीर जाते हमचोट लगती,विलाप करते हमझखम सहे,आगे बढ़ते हममुख से,
चल पड़ी , चिल-चिल करतीमधुर स्वर , गुनगान करतीमीठापन , कोयल बरसाएअपना गीत , सुरीला गाएआवाज़ सुहानी , रौनक फैलादेवो सुरीला रस , चारौर बरसादेसुनो-सुनो , कुछ कहना चाहतीमधुर वाणी , हमे सुनाना चाहतीआम मिठफल
टूटा दिल रोया , बचपनभारी पड़ गया , भोलापनतुम हो बड़े , अड़कनबाजधोखेबाज , धोखेबाजगरीब के मुंह से निवाला छीनातुमने उनका , अधिकार छीनातुम अधूरे , दिमाग बाजधोखेबाज , धोखेबाजतुमने मेरा , जहन तोड़ामेरा
हो गया नीला , निकल आया उजालाआकाश , हो गया थोड़ा नीला-नीलाउदय हो रहा , नई उम्मीदों काउग रहा , सूर्य विश्वास कानील जैसे , शंख बज रहा होयह वादय , भजन चल रहा होपक्षी चिलाकर , ऊर्जा बरसाता हैसूर्य स्वयं क
क्या अधूरापन , सिंधु के तन मेक्या कमी है , भारत के तन मेखुश नसीबदार , निशांत कुमारभारतवासी , निशांत कुमारचंद पैसों के लिए , वतन छोड़ दूं क्या ?बाहरी आनंद के लिए , पवित्र धाम छोड़ दूं क्या ?इस देश की स
नई ऊर्जा भण्डार हैशुरुवाती ही बेशुमार हैतुम से करू ज्यादा प्यारबरसाए उमंग बेशुमारहे सुबह तुम्हे नमस्कार आकाश नीला हुआ ज़रा साउम्मीद का निकला उजाला जरा साचला आया आनंद का सवेरालाया संग खुशियों का ब