धूल-धूसरित
टूटे- फूटे पथ पर
चल रहा नंगे-थके पाॅंव
मज़दूर, दलित
शोषित, कमज़ोर कृषक
खुले नभ के नीचे
सूनी आंखों से
धरती को सींचे
विडम्बना तो देखिये
अभिजात्य वर्ग,
कारपोरेट जगत,
पोषित धनवान
इनके ही स्वेद-लहू से
निर्मित रेड कारपेट पर
थिरक रहा
मना रहा जश्न.
- प्रमोद कुमार