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आवारा कुत्ते

9 September 2022

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अकसर उचट जाती है नींद
ढलती रात को गलियों में जब
आवारा कुत्ते लगते हैं भौंकने
गरमियों की रातें शायद उन्हें नहीं भाते 
ठंडी रातों में दुबक कर कहीं सो जाते
आख़िर बेचारे जायेंगे कहाँ
सरकारें आती हैं, जाती हैं मगर
कोई स्कीम नहीं लातीं इनके लिए
कम-से-कम रातों में रास्ते पर चलते हुए
पुलिसवाले के संग ही उन्हें लगा देते
फिर तो वे हिसाब से भौंकते
ज़्यादा आवारग़ी भी नहीं दिखाते
संभवतः साथ रहते-रहते सभ्य हो जाते
पुलिस भी क्यों न हो बदनाम
वह भी भौंकती है ग़रीब-वंचितों को देखकर
पुलिस और आवारा कुत्ते में है बारीक अन्तर
पुलिस दबंगों को सलाम ठोकती है झुक कर
आवारा कुत्ते भौंकते हैं उन्हें आवारा जानकर
सरकार को भी अब समझ में आ गयी है
तभी तो उलाहना देती है बात-बात पर
पिछली सरकार ने क्या किया सत्तर सालों में
बेवज़ह भौंकनेवाले को ला खड़ा किया देशभर में
फिर तो उसने तकिया कलाम ही बना लिया
अब जो भी भौंकेगा सरकार के विरोध में
वह देशद्रोही या राष्ट्रविरोधी कहलायेगा.

- प्रमोद कुमार

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