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एक कश्ती.....

4 August 2022

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समुंदर में एक कश्ती है,

जो हल्के- हल्के होश में है ।

तूफ़ान से लड़ने चली,

जो दिखता पूरे आक्रोश में है।


अपने छूटे, दरिया छूटा,

छूटी हर चीज़ प्यारी जो थी ।

एक नाविक का सहारा था,

कुछ टूटे सपनो की सवारी थी ।


थोड़ा आगे चलने पर समुंदर ने था रूप दिखाया,

तूफ़ान अपने चरम पर था,

और नौका भी पूरे जोश में है ।


तूफ़ान और नौका की इस जंग का,

कुछ परिणाम है यूं आया,

साफ दिखता कुछ भी नहीं 

सब धुंध की आगोश में है ।

सब धुंध की आगोश में है ।