समुंदर में एक कश्ती है,
जो हल्के- हल्के होश में है ।
तूफ़ान से लड़ने चली,
जो दिखता पूरे आक्रोश में है।
अपने छूटे, दरिया छूटा,
छूटी हर चीज़ प्यारी जो थी ।
एक नाविक का सहारा था,
कुछ टूटे सपनो की सवारी थी ।
थोड़ा आगे चलने पर समुंदर ने था रूप दिखाया,
तूफ़ान अपने चरम पर था,
और नौका भी पूरे जोश में है ।
तूफ़ान और नौका की इस जंग का,
कुछ परिणाम है यूं आया,
साफ दिखता कुछ भी नहीं
सब धुंध की आगोश में है ।
सब धुंध की आगोश में है ।ए