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वैज्ञानिकों की राय में ऊंट का दूध ऐसा सुपरफूड है मधुमेह से बचा सकता है -डेयरी उद्योग ने किया स्वागत

28 September 2022

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दुनिया भर के वैज्ञानिक अब इस बात से सहमत हो गए हैं कि ऊंट के दूध में कई पोषक गुण होते हैं जिसे "सुपर-फूड्स" कहा जा  सकता है। दूध मेंसभी विशिष्ट गुण विद्यमान है जो मनुष्य तथा गाय के दूध से किसी मामले में कम नहीं है। विभिन्न अध्ययनों से पता चला है कि ऊंट के दूध में एंटी-डायबिटिक, हाइपरटेंसिव, एंटी-माइक्रोबियल जैसे गुणमौजूद है । साथ ही साथ एक एंटी-ऑक्सीडेंट की भी गुणवत्ता मौजूद है। विभिन्न वैज्ञानिक अध्ययनो के परिणाम स्वरूप ऊंट के दूध की औषधीय गुणो की वैश्विक बाजार में खूब चर्चा हो रही है। विभिन्न देश ऊंट के दूध का उत्पादन और विपणन करने के नए-नए तरीके ढूंढ रहे हैं। हमारे देश में भी ऊंट के दूध का उत्पादन एवं बिक्री करने के लिए कई बड़े दुग्ध उत्पादक सामने आए हैं।

इन्हींकारणों से ऊंट के दूध बाजार दिन-ब-दिन बढ़ रहा है, क्योंकि यह वैज्ञानिक रूप से पुष्टि की गई है कि मधुमेह के रोगियों द्वारा ऊंट के दूध की लंबी अवधि तक प्रयोग करने पर आवश्यक इंसुलिन खुराक कम करने में एक उपयोगी सिद्ध हुआ है। यही कारण है कि हमारे देश में ऊंट के दूध उत्पादन और उसकी बिक्री बढ़ रही है और इसका सीधा असर वैश्विक बाजार पर पड़ा है। इसका मुख्य कारण सिर्फ चिकित्सीय गुण हैं। हालांकि, ऊंट के दूध की गुणवत्ता संबंधी जानकारी अभी लोगों को नहीं है । यही कारण है कि इसकी लोकप्रियता की कमी के कारण बाजार में खपत की दर धीमी है जिस पर केंद्र और राज्य सरकार के संज्ञान में लाई जा तथा नीतिगत आत्ममंथन की आवश्यकता है।

वैश्विक बाजार पर दृष्टि डालने से है ज्ञात होता है कि केन्या 1.165 मेट्रिक मिलियन टन ऊंट के दूध का वार्षिक उत्पादन उत्पादन कर विश्व स्तर पर अग्रणी ऊंट दूध उत्पादक बन गया है। इसके बाद नंबर आता है सोमालिया का जहां 0.958 मैट्रिक मिलियन टन और माली 0.271 मेट्रिक मिलियन टन ऊंट का दूध उत्पादित कर पूरे विश्व में अपना स्थान बना लिया है। आंकड़े बताते हैं कि केन्या के उत्तर-पूर्वी हिस्सों में निवास करने वाली जनजातियाँ लगभग 4.722 मिलियन ऊंट पालती हैं जो विश्व के ऊंटों की आबादी का लगभग 80% है। वर्ष 2020 में गल्फ कॉरपोरेट काउंसिल-जीसीसी ऊंट के दूध की डेयरी मार्केट में 502.3 मिलियन अमेरिकी डॉलर की कमाई की और वर्ष 2026 तक 7 1% की वृद्धि की उम्मीद की जा रही है। संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में पाश्चुरीकृत ऊंट के दूध
नियमित रूप से देश भर में कई प्रकार की ब्रांड बाजार में उतारा है जैसे ताजा दूध, सुगंधित दूध, दूध पाउडर, घी, स्वादिष्ट दही,छाछ आदि। इन उत्पादों को दुनिया भर किनारी बाजार में निर्यात किया जा रहा है। हालांकि, संयुक्त अरब अमीरात में ऊंट का पालन एवं
देवरी व्यवसाय अभी भी एक आम बात है।

भारत में ऊंट के दूध का बाजार अभी धीरे-धीरे गति पकड़ रही है। हालांकि, निजी और सरकारी एजेंसियां ऊंट डेयरी में दिलचस्पी रखती हैं। नेशनल डेहरी डेवलपमेंट बोर्ड-एनडीडीबी की एक रिपोर्ट के अनुसार, गाय का दूध 85%, भैंस का दूध 11.0%, बकरी का दूध 3.4%, भेड़ का दूध 1.4% और ऊंट का दूध दुनिया की कुल वार्षिक आपूर्ति फिलहाल अभी 0.2% ही है। यह बहुत ही चौंकाने वाला परिदृश्य है कि भारत में ऊंटों की आबादी में लगातार गिरावट आ रही है क्योंकि अब परिवहन या खेती के लिए इसकी आवश्यकता नहीं है। इतना ही नहीं बल्कि खेती तथा अन्य व्यवसाय के लिए खरीदकर उन्हें मांस के लिए प्रयोग किया जाता है। देश में इस समय चोरी से बंद करने हेतु ले जाते समय उन्हें अवैध यातायात के मामले में अक्सर पकड़ लिया जाता है और पशु कल्याण पर कार्यरत स्वयंसेवी संस्थाओं के माध्यम से बचा लिया जाता है। वर्ष 2019 में जारी 20वीं पशुधन जनगणना के अनुसार ऊंटों की आबादी में 37.5 प्रतिशत (4 लाख में से 2.5 लाख ) की गिरावट आई है।

ऊंट का दूध ऐतिहासिक रूप से अपने औषधीय और गुणों के लिए जाना जाता है। इन गुणों को वैज्ञानिक पत्रिकाओं में काफी अनुसंधान पत्र प्रकाशित हुए हैं। इस तरह के शोध यहबताते हैं कि मधुमेह और ऑटिज्म स्पेक्ट्रम विकारों से संबंधित बीमारियों के लिए अत्यंत लाभकारी पाए गए हैं। यह जानकारी विश्व भर के तमाम अनुसंधान केंद्रों पर किए गए कार्यों कि परीक्षण के बाद अंतरराष्ट्रीय ऊंट के दूध के बाजार ने स्वीकार किया है। अभी हाल में किए गए अनुसंधान ओं के माध्यम से जानकारी हुई है कि ऊंट का दूध जीवाणुरोधी ,एंटीवायरल, एंटीऑक्सिडेंट , एंटी-कैंसर तथा हाइपोएलर्जेनिक गुणों से संपन्न है। इतने सारे औषधीय गुण ऊंट के दूध में एक साथ मिलना समूचे विश्व समुदाय के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। राजस्थान के जनजातियों के पारंपरिक विधि के
अनुसार ऊंट के दूध को बिना गर्मी उपचार या पाश्चराइजेशन के कच्चा खाया जा सकता है। वैसे तमाम वैज्ञानिक एवं विशेषण आम तौर पर कई उच्च जोखिम के कारण सामान्य रूप से कच्चे दूध का सेवन करने की सलाह नहीं देते हैं। कच्चा दूध का सेवन करने से संक्रमण संबंधी बीमारियां, गुर्दे की निष्क्रियता और यहां तक कि आक्रामक संक्रमण से मौत का कारण बन सकता है। यह जोखिम विशेष रूप से उच्च जोखिम वाली आबादी, गर्भवती महिलाओं, बच्चों , वृद्ध , वयस्कों के अंदर प्रतिरक्षाण संबंधी समस्याएं बढ़ने लगती है। अध्ययनों से पता चला है कि ऊंट के दूध में ऐसे जीवाणु पाए गए हैं जो श्वसन तंत्र को प्रभावित करते हैं तथा सिंड्रोम और ब्रुसेलोसिस जैसी बीमारियों का कारक होता है। इसलिए अत्यधिक संक्रामक की घटनाएं तब पाई जाती है जब ऊंट का दूध बिना पाश्चुरीकृत सेवन किया जाता है।

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इसके अलावा, ऊंट के दूध ने लैक्टोज टोलरेंस के कारण लोगों के लिए एक वैकल्पिक डेयरी उत्पाद के रूप में लोकप्रियता हासिल की है। यह लाभकारी गुण सिर्फ तक ऊंटनी के दूध में है जिसका मुख्य कारण यह है कि ऊंट के दूध की अनूठी संरचना उसे सभी दूध से अलग पहचान दिलाता हैं। एक नए शोध समीक्षा के अनुसार ऊंट के दूध को गाय के दूध से बेहतर माना जाता है क्योंकि इसमें लैक्टोज, संतृप्त वसा और कोलेस्ट्रॉल कम होता है। इसमें असंतृप्त फैटी एसिड भी अधिक होता है तथा 10 गुना अधिक लोहा और 3 गुना अधिक विटामिन सी होता है जो दूध को बड़े ही सरलता से पचाने और शरीर में उपभोग करनेमें सहूलियत प्रदान करता है। ऊंटनी का दूध एंटीऑक्सिडेंट और विटामिन ए,डी, ई और बी विटामिन में भी अधिक होती है। ऊंटनी के दूध के अनगिनत स्वास्थ्य संबंधीविशेषताओं की मौजूदगी के कारण इसे "सुपर फूड" भी कहा जाता है।

ऊंट के दूध का सेवन सदियों से दूध के औषधीय गुणवत्ता तथा कई बीमारियों के उपचार में सार्थक पाए जाने के कारण जाना जाता रहा है। हाल ही में संयुक्त अरब अमीरात में ऊंटनी के दूध की खपत के पैटर्न और वयस्कों के बीच कथित लाभों और उसके नुकसान
संबंधी कुछ महत्वपूर्ण अध्ययन किए गए थे। इस अध्ययन के तहत 852 वयस्कों से जानकारी प्राप्त करने के लिए अरबी तथा अंग्रेजी में प्रश्नावली का प्रयोग किया गया था। प्रश्नावली में सामाजिक-जनसांख्यिकीय विशेषताओं से लेकर ऊंट के दूध की खपत के पैटर्न और कच्चे ऊंट के दूध के लाभों और जोखिमों के कथित ज्ञान की जांच की गई तो पता चला कि 60% प्रतिभागियों ने ऊंटनी का दूध पीने की सिर्फ कोशिश भार की ,लेकिन एक चौथाई (25.1%) हीनियमित उपभोक्ता थे। अध्ययन में ताजे दूध के बाद सबसे ज्यादा खपत रहा है ऊंट के दही और विशेष स्वाद तथा महक वाले वाले दूध मेँ। ऊँट के दूध की उपयोगिता परीक्षण में शहद, हल्दीऔर चीनी के साथ मिलाकर सेवन करने वालों की प्रतिशत अधिक थी। अधिकांश उपभोक्ताओं ने स्वीकार किया कि वह रोजाना एक कप ऊंटनी का दूध (57 0 %) का सेवन करते हैं ।

अफ्रीका, मध्य पूर्व और एशिया के लोग सदियों से दूध के लिए ऊंटों पर निर्भर हैं। और अब, संयुक्त राज्य अमेरिका में ऊंट के दूध दूध की खपत बढ़ रही रही है। साथ ही साथ ऊंट के दूध की मांग आपूर्ति से आगे निकल चुकी है। यह एक मनोवैज्ञानिक सिद्धांत है कि हर व्यक्ति हमेशा स्वास्थ्य की जादुई गोली की तलाश में रहता है। इसी प्रकार कुछ अमेरिकी उपभोक्ताओंमैं देखने को मिला। वैसे भी ऊंट के दूध के गुणवत्ता के कारण लोग बेहतर स्वास्थ्य के स्वयं को बदल रहे हैं। दीर्घायु जीवन शैली प्राप्त करने के लिए स्वयं अपनी आदत बदल रहे हैं। अमेरिका में ऊंट के दूध सेवन करने वाले कुछ तो इसे नया "सुपर फूड" बता रहे हैं। वैसे दूध की प्रचार करने वाली कंपनियां इसी प्रकार का कुछ प्रचार-प्रसार करती हैं। वैसे इसकी गुणवत्ता ही इसकी लोकप्रियता में वृद्धि का मूल कारक है। इस प्रकार बेशक हम ऊंटनी के दूध के के लाभ पर चर्चा कर सकते है। अनुसंधान में पाया गया है कि ऊंट के दूध में कुछ प्रोटीन जैसे इंसुलिन के घटक मौजूद पाए गए हैं जो मधुमेह के रोगियों के लिए रामबाण सिद्ध हुआ है । वैसे भी उट के दूध में एलर्जीरोधी गुण होने के कारण सेवन करने में और सहूलियत मिल जाती है। इसका मतलब कि जो लोग गाय का दूध नहीं पी सकते उन्हें एलर्जी की समस्या है, कई बार गाय का दूध का भी पाचन नहीं कर पाते ऊंट का दूध पी सकते हैं। इस तरह की जटिलताओं को समझाने के लिए अमेरिका में एफडीए नामक संस्था किसी भी प्रकार के दूध की गुणवत्ता जांचने का काम करती है और कच्चे दूध के वितरण या बिक्री पर प्रतिबंध लगाता है। अमेरिका जैसे देश में बिना पास्चुरीकृतदूध को बाजार में बेचा नहीं जा सकता है।ऊंट के दूध के सेवन हेतु
ऊंट का दूध पास्चुरीकृत किया जाना अति आवश्यक है।

वैसे वर्ष 2012 में अमेरिका की खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने फैसला सुनाया कि ऊंट का दूध संयुक्त राज्य में बेचा जा सकता है लेकिन बिक्री कार्य के लिए कानूनी निर्देशों का पालन किया जाना चाहिए । इस परिपेक्ष में निर्देशित किया गया है कि उन्हें अपने राज्य में अन्य डेयरियों के उत्पादों की बिक्री हेतु राज्य स्तर पर लाइसेंस की हिदायतों का पालन करनाहोगा। सभी आवश्यक खाद्य सुरक्षा और स्वास्थ्य मानकों के गाइडलाइंस का पालन करना होगा। अमेरिका के सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिकारियों के निर्देशों के अनुसार, ऊंट
के दूध को निश्चित तौर पर पास्चुरीकृत होना चाहिए। इस निर्देश में यह भी कहा गया है कि ऊंट के दूध को 15 सेकंड के लिए 166
डिग्री फ़ारेनहाइट तक गर्म करना आवश्यक है।पास्चुरीकृत करने से तमाम हानिकारक बैक्टीरिया निष्क्रिय हो जाती है जैसे ई.कोलाई, लिस्टेरिया, साल्मोनेला और कैम्पिलोबैक्टर आदि जैसे वायरस, परजीवी और जीवाणु नष्ट हो जाते हैं।

ताजे आंकड़ों के अनुसार ऊंट दूध बाजार हिस्सेदारी 2021 से 2026 तक 1.46 बिलियन अमरीकी डालर तक बढ़ने की उम्मीद है, और बाजार की विकास गति 4.44% की दर से वृद्धि करेगी। यह गौर करने की बात है कि वर्ष 2021 में वैश्विक बाजार 6.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर के मूल्य पर पहुंच गया था। इन बातों को मद्देनजर रखते की जा रही है। डेयरी उद्योग के एक अन्य विश्लेषक के अनुसार वर्ष 2022-2027 के दौरान 3.1% वृद्धि की आशा है और 2027 के अंत तक 8.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। इस मामले में भारत भी कम नहीं है। अमूल तथा आद्दविक फूड्स जैसे ऊटनी के दूध को विभिन्न रूप में बाजार में उतारने
वाले बड़ी कंपनी आकर्षित हुई है।

एक अध्ययन के दौरान ज्ञात हुआ है कि ऊंट दूध का मूल्यांकन पोषण मूल्य के आधार पर 66 4% पर है लेकिन औषधीय गुणों के कारण उसका स्तर 39 3% पर ही पहुंचपाया है। ऊंट का दूध इसी प्रकार से मार्केट में स्वीकार किया गया है। ऊंट के दूध के विशेष उपभोक्ताओं में पाश्चुरीकृत दूध के पसंद का स्तर 58 4% रहा है। औषधिय गुणवत्ता संबंधी कारणों की वजह से यह माना जा रहा है कि ताजा दूध पीने वाले लोग 87.2 % पर हैं । जब भी प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए कोई 41 6 % उपभोक्ता सामने आए। इसी प्रकार पोषक तत्वों की गुणवत्ता देखते हुए 39.2 % लोगों ने अपनी बात बताई। कुल मिलाकर प्रतिभागियों को ऊंट के कुल दूध का सेवन करने वाले लोगों का 25% स्पष्ट उत्तर नहीं प्राप्त हुआ। महिलाओं और गैर-उपभोक्ताओं की तुलना में ऊंट के दूध के स्वास्थ्य लाभों के बारे में पुरुषों और स्त्रियों द्वारा प्रयुक्त ऊंट दूध संबंधी जानकारी आसानी से प्राप्त हो गई। तमाम अध्ययनों में यह बताया गया है कि
उपभोक्ताओं तथा गैर-उपभोक्ताओं के बीचकई प्रकार की गलत धारणाएं प्रचलित हैं। बिना पाश्चुरीकृत ऊंटनी के दूध का सेवन के बारे में सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी चिंता तथा मतभेद है। मामले में विशेषज्ञों की राय के अनुसार ऊंट के दूध के सेवन संबंधी राष्ट्रीय नीति एवं नियम बनाया जाना अति आवश्यक हैं।

अभी कुछ दिन पहले ऑस्ट्रेलियन कैमल इंडस्ट्री एसोसिएशन के अनुसार, ऊंट के दूध में गाय के दूध की तुलना में 5 गुना विटामिन सी और 10 गुना आयरन होता है। हाल के अध्ययनों के अनुसार, गोजातीय दूध की तुलना में लैक्टोफेरिन , लैक्टोग्लोबुलिनऔर लाइसोजाइम की उच्च सांद्रता के कारण नए ऊंट के दूध में प्राकृतिक औषधीय और प्रतिरक्षा-बढ़ाने वाले गुण होते हैं। ऊंट के दूध में गोजातीय दूध की तुलना में हाइपो-एलर्जेनिक गुण होते हैं । ऊंट और मानव दूध पोषण संरचना और चिकित्सीय गुणों में समान हैं। ऊंट का दूध कैंसर, मधुमेह, उच्च रक्तचाप और त्वचा रोगों सहित विभिन्न बीमारियों से लड़ने के लिए जाना जाता है। हालांकि, इसका सेवन करने वाले लोगों में ऊंटनी के दूध के स्वास्थ्य लाभों के बारे में सकारात्मकधारणा पाई गई।  लेकिन गैर-उपभोक्ताओं के बीच आज भी गलत धारणाएं प्रचलित हैं।

अगर देखा जाए तो आज भारत में ऊंटों के नस्ल संरक्षण और संवर्धन की नई राष्ट्रीय नीति की आवश्यकता है। इस नियम में अवैध परिवहन और वध पर प्रतिबंध भी लगाए जाने का प्रावधान किया जाना चाहिए । साथ ही साथ ऊंटों के लिए चारागाहकी व्यवस्था जरूरी है । ऊंटों की दूध के विवरण के लिए स्थापित डेयरी उद्योग के विकास की नीति जरूर शामिल करनी चाहिए। राजस्थान में ऊंट दूध कोऑपरेटिव प्रणाली वर्ष 2010 में आरंभ किया गया था। लेकिन यह मामला तब से अधिक लोग जानने लगे जब प्रधान मंत्री
नरेंद्र मोदी ने अक्टूबर, 2010 में गुजरात के आनद में डेयरी विकास की एक सभा को गर्मजोशी से संबोधित किया। तउस समय प्रधानमंत्री के संबोधन का कई जगह उपहास किया गया लेकिन जब वैज्ञानिक अध्ययन भी ऊंट के दूध की गुणवत्ता स्वीकार करने लगे तो सभी जगह ऊंट के दूध की प्रशंसा होने लगी।

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