ये कहानी हैं उज़्मा और फहीम कि आइए जानते हैं इस कहानी में क्या हुआ था?
एक लड़का और लड़की थी जो कि दोनों ही बहुत खुले मिजाज के थे और दोनों ही बहुत अधिक बुद्धिमान थे और उनके परिवार बहुत ही सख्त मिजाज वाले थे खास तौर पर दोनों के माता-पिता बहुत गुस्से वाले और अपनी परंपराओं को ना तोड़ने वाले थे इन दोनों के माता-पिता अपने-अपने अलग-अलग धर्मों को मानते थे इन दोनों के माता-पिता अपने धर्म के अनुसार ही चला करते थे और लड़का लड़की दोनों ही मोमडन धर्म से थे !
आइए शुरू करते हैं स्टोरी को ?
एक लड़का था जिसका नाम फहीम था नोयडा मै रहा करता था !
फहीम एक मिडल क्लास फैमिली से था ! और उसके पिता का नाम नदीम हैदर था और उसके पापा स्क्रीन पेंटिंग का काम किया करते थे! फहीम की मां का नाम रेशमा था जो कि वह हाउसवाइफ थी और फहीम के चार भाई थे एक का नाम वसीम था दूसरे का नाम अज़ीम था तीसरे का नाम मोहम्मद और चौथे का नाम रिहान था ?
फहीम एक छोटे से स्कूल में पढ़ा करता था जिसका नाम अल-मुमताज नर्सरी स्कूल था वह स्कूल पांचवी क्लास तक था और और वहां पर एक लड़की भी पड़ा करती थी जिसका नाम उज़्मा था उज़्मा बहुत ही हंसमुख मिजाज की थी और बहुत ही बातूनी भी! उज़्मा के पिता का नाम अहमद था और माता का नाम नूर फ़ातेमा था और उज़्मा का एक भाई था जिसका नाम अली था ! उज़्मा के पिता एक कव्वाल थे वह जगह-जगल प्रोग्राम करके पैसों को कमाया करते थे और उसी से उनका घर चला करता था !
उज़्मा! और उज़्मा का भाई दोनो ही उस समय पढ़ा करते थे! तो उस समय उज़्मा के पापा ही पूरे घर को चलाया करते थे !
उस समय में उज़्मा की आयु 7 वर्ष थी ! और वह भी उसी स्कूल में पढ़ा करती थी जिस स्कूल में फहीम पढ़ा करता था! दोनों एक ही साथ एक ही स्कूल में पढ़ा करते थे फहीम और उज़्मा की आयु लगभग बराबर ही थी पर दोनों ही बहुत छोटे और बहुत ही अच्छे थे दोनों के विचार आपस में मिलते थे परंतु दोनों का स्कूल में एक नया दिन था पर दोनों ही एक दूसरे को बिल्कुल भी नहीं जानते थे क्योंकि फहीम कभी भी उज़्मा से नहीं मिला था और ना ही कभी उज़्मा उससे मिली थी तो दोनों ही शुरुआत में एक दूसरे को देखा करते थे पर आपस में कुछ बात नहीं किया करते थे ना तो उज़्मा फहीम की दोस्ती थी ना फहीम उसका दोस्त था! तो दोनों आपस में कुछ बोला नहीं करते थे पर वह एक दूसरे को देख कर बहुत खुश हुआ करते थे फिर थोड़े ही दिनों के बाद फहीम की काफी छुट्टियां हो गई थी उस समय वह फर्स्ट क्लास में थे फहीम की छुट्टियां होने के कारण फहीम का काम पीछे हो चुका था और उज़्मा रोजाना स्कूल आया करती थी जिसकी वजह से उसका काम कभी भी छोड़ता नहीं था जब फहीम वापस अपने स्कूल आया तो उसकी मैम ने बहुत डांटा और मारा और उससे कहा कि अगर तुम्हारा काम पूरा नहीं हुआ तो फिर मैं तुम्हें दोबारा से मारूंगी फहीम उसी स्कूल में नया था तो उसके कोई कॉपी नहीं दे रहा था फहीम बहुत परेशान था कि कोई मुझे कॉपी नहीं दे रहा फहीम ने सबसे कॉपी मांगी पर उज़्मा से कॉपी नहीं मांगी क्योंकि वह कभी भी उससे नहीं बोलता था और बहुत डरा करता था बहुत देर के बाद जब फहीम को बहुत टेंशन होने लगी तो उसने उज़्मा से कॉपी को कहा क्या मुझे कॉपी मिल सकती है ?
उज़्मा ** ने हंसते हुए जवाब दिया क्यों नहीं मिल सकती जरूर मिल सकती है पर मैं तुम्हें कॉपी एक शर्त पर दूंगी वह शर्त यह है कि मेरी कॉपी फटनी नहीं चाहिए !
फहीम ** बहुत खुश हुआ और कहां कि आप की कॉपी नहीं फटेगी उसकी जिम्मेदारी मैं लेता हूं
उज़्मा ** ने कहा ध्यान से मेरी कॉपी का ख्याल रखना ?
फहीम ** ने कहा क्यों नहीं जरूर रखूंगा !
उसके बाद फहीम अपना काम उस कॉपी में से उतारने लगा फहीम पूरा दिन उस कॉपी में से काम करता रहा जब छुट्टी का टाइम हुआ तो उज़्मा अपनी कॉपी वापस लेने के लिए फहीम के पास आ गई और फहीम से बोला ?
फहीम ** लाओ मेरी कॉपी दे दो छुट्टी होने वाली है ?
फहीम का काम अभी बहुत सारा बाकी था तो फहीम सोचने लगा अगर मैंने कॉपी वापस कर दी तो मेरा काम पूरा नहीं हो पाएगा और कल को फिर मैडम मुझे मारेगी ! तो फहीम ने मन ही मन में सोचा क्यों ना मैं इस कॉपी को अपने घर ले जाऊं मेरा काम भी पूरा हो जाएगा और मैडम भी कुछ नही कहगी!
तो फहीम उज़्मा से कहता है ?
क्या उज़्मा मैं तुम्हारी कॉपी अपने घर ले जा सकता हूं !
तो उज़्मा कहती है नहीं ? मैं अपनी कॉपी किसी को घर ले जाने के लिए नहीं देती !
तो फहीम कहता है प्लीज उज़्मा मुझे कॉपी दे
दो तुम्हें तो पता है आज मैडम ने मुझे कितना डाटा और पीटा है अगर मैंने उनको काम करके जल्द से जल्द नहीं दिया तो फिर से वह मुझे मरेगी!
जब उज़्मा यह बात सुनती है तो वह भी थोड़ी सी परेशानी हो जाती है और खुशी खुशी फहीम को वह कॉपी दे देती है ! और कहती हैं मेरी बात याद रखना कि मेरी कॉपी फटनी नहीं चाहिए!
फहीम ** मुस्कुरा कर कहता है हां बाबा हां मैं तुम्हारी कॉपी को फटने नहीं दूंगा ! इतने में स्कूल की घंटी बज जाती है और स्कूल की छुट्टी हो जाती है और दोनों अपने घर चले जाते हैं !
और फहीम अपने घर आकर अपना काम करने लगता है और काम करते-करते सोचने लगता है की मैं कल को उज़्मा से दोस्ती करूंगा उसके बाद फहीम अपने काम में लग जाता है और शाम को वह अपना काम पूरा कर लेता है !
पर फहीम को ये नहीं पता था कि कल कुछ बुरा होने वाला है ?
उधर उज़्मा सोच रही थी कि मेरी कॉपी सही सलामत हो क्योंकि उज़्मा को साफ चीजें बहुत पसंद थी और अपनी हर चीजों से बहुत प्यार करती थी !
दोनों अगले दिन ही स्कूल पहुंचे तो
उज़्मा ** फहीम के पास गई और पूजा ?
क्या फहीम तुम्हारा पूरा काम हो गया !
तो फहीम ने कहा जी हां मेरा पूरा काम हो गया और अपने बैग से कॉपी निकालने लगा ! जल्दी-जल्दी की चक्कर में जैसे ही फहीम ने कॉपी को बाहर निकाला तो कॉपी फट गई और उज़्मा को बहुत गुस्सा आ गया और उज़्मा ने फहीम को बहुत डांटा और उसके हाथ से कॉपी छीन कर अपने बैग में रख ली और फहीम से नाराज हो गई और अपनी सीट पर जाकर बैठ गई !
फहीम ** बहुत परेशान हो गया वह सोचने लगा ?
मैंने क्या सोचा था और क्या होगा ? एक तरफ फहीम के दिल में यह था कि मैंने एक अच्छे दोस्त को खो दिया दूसरी तरफ यह था कि मैं शुक्रिया अदा तक नहीं कर पाया ! उसके बाद फहीम भी अपनी सीट पर जाकर बैठ गया! उसके बाद फहीम ने अपनी कॉपी को चेक करवाया और मैडम में ना उसको डांटा ना पिटा ? इस बात से बहुत खुश हुआ और उसने सोचा कि मैं उज़्मा को कम से कम धन्यवाद तो कहीं सकता हूं पर वह सोचता है कि कहीं उज़्मा और नाराज ना हो जाए उससे तो इस वजह से वह धन्यवाद नहीं कह पाता और चुपचाप अपनी सीट पर बैठ जाता है ! थोड़े ही दिनों के बाद कुछ लड़के स्कूल में न्यू एडमिशन लेते हैं एक का नाम असलम था दूसरे का नाम इनायत तीसरे का नाम अब्दुल्ला था यह तीनों बहुत तेज थे ! जब यह तीनों सबके साथ पढ़ने लगे तो मैडम ने इनसे कहा कि अपना काम पूरा कर लेना किसी की कॉपी में से देखकर ? ना तो वह तीनों किसी को जानते थे ना कोई उनको उन्होंने सभी से कॉपी मांगी, पर किसी ने भी उनको कॉपी नहीं दी और इस बात को उन्होंने स्कूल की मैडम से कह दिया मैडम ने उनकी बात सुनकर फहीम की कॉपी उन तीनों को दिलवा दी! और फहीम ने भी राजी खुशी अपनी कॉपी दे दी ! फहीम की कॉपी देने की वजह से वह तीनों फहीम के दोस्त बन जाते हैं और चारों क्लास में एक साथ बैठने लगते हैं, और बहुत अच्छे दोस्त बन जाते हैं ! और फहीम अपनी और उज़्मा वाली बात अपने तीनों दोस्तों को सुनाने लगता है अब्दुल्ला, इनायत, असलम यह फहीम के पक्के दोस्त बन चुके थे जब इन तीनों ने यह बात सुनी के फहीम को डाटा तो इनको गुस्सा आ गया और इन तीनों ने सोचा के अब हम फहीम का बदला लेंगे और उज़्मा को रोज परेशान किया करेंगे पर फहीम का ये मकसद नहीं था कि उज़्मा से बदला लिया जाए फहीम न तो एक दोस्त समझकर उनको अपनी बातें बताई थी पर फहीम ये नहीं जानता था कि यह तीनों उज़्मा को परेशान करेंगे ! जब दोबारा यह तीनों स्कूल आए तो फहीम अब्दुल्ला इनायत असलम चारों साथ बैठा करते थे और उन्हीं के आगे उज़्मा भी बैठा करती थी और उसकी दोस्त भी, तो इन तीनों ने उज़्मा को परेशान करना शुरू कर दिया वो तीनों पहले से ही प्लान बना कर आए थे ! उज़्मा जब अपनी सीट पर बैठ गई ? तो वो तीनों एक-एक कर के उज़्मा की चोटी को खींचने लगे और उज़्मा परेशान होने लगी ! जब फहीम ने इन तीनों की इस हरकत को देखा तो वह भी बहुत परेशान होने लगा और सोचे लगा कि यह उज़्मा को क्यों परेशान कर रहे हैं ? पर फहीम अपने दोस्तों से कुछ कह नहीं सकता था क्योंकि वह अपने दोस्तों को कभी खोना नहीं चाहता था पर यह तीनों रोजाना उज़्मा को परेशान करने लगे थे ! और उज़्मा इन तीनों से बहुत परेशान आ चुकी थी उज़्मा रोजाना इन तीनो को बाते सुनाती और चुप हो जाती थी उज़्मा एक दिन फैसला किया की अब मैं इन तीनों की शिकायत मैडम से करोगी ! और उज़्मा ने मैडम से शिकायत कर दी और उन तीनों को मैडम ने बहुत डांटा और उनको पीटा भी उसके बाद मैडम ने उन्हें अपनी सीट पर बैठा दिया! और यह तीनों उसी दिन से उज़्मा से जलने लगे और फिर से परेशान करने लगे! उज़्मा मैडम से इनकी रोज शिकायत करती थी और मैडम रोज इन तीनों को मारती थी पर यह उज़्मा को परेशान करना नहीं छोड़ते थे ! उज़्मा ने सब से बोलना छोड़ दिया था और वह अपनी सीट पर चुपचाप बैठी रहा करती थी जब एक दिन इन तीनों ने उज़्मा को बहुत परेशान किया! तो उज़्मा बहुत रोने लगी जब फहीम ने यह देखा तो फहीम को बहुत गुस्सा आया और असलम को सेट पर से फेंक दिया! और तीनों से मना कर दिया आज के बाद उज़्मा को कोई परेशान नहीं करेगा! और उज़्मा की दोस्त उसको छुपाने लगी पर वह नहीं चुपी और बहुत रोती रही ! उज़्मा को फहीम रोता हुआ नहीं देख सकता था इसलिए वह इन तीनों को लेकर क्लास से बाहर चला गया ! और उनको समझाने लगा कि तुमने जो किया वह बहुत गलत किया मुझे नहीं पता था तुम ऐसी घटिया हरकत करोगे !
असलम ** कहता है कि हमने तेरा बदला लिया और हमी को तू बुरा बता रहा है ?
फहीम ** कहता है मैंने यह नहीं कहा था कि तुम उसको परेशान करो पर मैंने तो सोचा भी नहीं था कि तुम उसके साथ इतना बुरा करोगे उज़्मा बहुत अच्छी लड़की है मैंने तो तुम्हें इसलिए बताया था कि ताकि तुम मेरी मदद करो उसका दोस्त बनने में पर तुमने तो और मुझे उससे दूर करवा दिया पर कोई बात नहीं ? कोई भी आज के बाद उज़्मा को परेशान नहीं करेगा !
यह बातें सुनकर अब्दुल्ला बोलने लगता है कि फहीम तू उज़्मा दोस्त क्यों बनना चाहता है ?
फहीम ** एक अलग जवाब देता है ?
फहीम *** अब्दुल्ला से कहता है उज़्मा मुझे अच्छी लगती है और भविष्य में वह एक अच्छी लड़की बनेगी और अगर
मैंने उससे माफी नहीं मांगी तो मुझे सारी जिंदगी यह पछतावा रहेगा कि मैंने एक अच्छे दोस्त को खो दिया था इतने में स्कूल की छुट्टी हो जाती है और चारों अपने घर चले जाते हैं और उज़्मा भी अपने घर रोती हुई चली जाती है !
फिर अब्दुल्ला , असलम, इनायत, तीनों को अफसोस होता है कि हमने अपने दोस्त का दिल दुखा दिय और तीनों अपने घर पर बैठे हुए यही बात को सोचते रहते हैं तीनों के एक साथ दिमाग में यह बात आती है के हम फहीम और उज़्मा से माफी मांगेंगे और वह वापसी मांगने का पक्का इरादा कर लेते हैं !
फहीम ** अपने घर पर लेटा हुआ यही बात सोच रहा था कि उज़्मा से कैसे माफी मांगो और उसको कैसे मनाऊं मेरी वजह से उसने बहुत तकलीफ उठाई है ? सोचते सोचते उसके मन में आता है कि उज़्मा बहुत कोमल दिल की है वह मुझे माफ कर देगी यहां पर फहीम ने भी पक्का इरादा कर लिया था उज़्मा से माफी मांगने का और चारो सुबह होने का इंतजार करने लगे! पर ?
फहीम को मालूम नहीं था ? कि उसका कल बहुत ही खूबसूरत बनने जा रहा है और उसके साथ ऐसा होने जा रहा है जो उसने कभी भी नहीं सोचा था !
जब अगले दिन चारो स्कूल पहुंचे तो एक दूसरे से कहने लगे आज हम उज़्मा से माफी मांगेंगे यह बात अब्दुल्ला की सुनकर फहीम बहुत खुश हुआ और कहने लगा कि तुम ही मेरे अच्छे दोस्त हो उसके बाद फहीम ने कहा चलो दोस्तों क्लास में चलते हैं और उज़्मा से जाकर माफी मांगते हैं!
जब चारों क्लास में पहुंचे तो चारों को डर लगने लगा कि कहीं उज़्मा का दिल और न टूट जाए परंतु वह तीनों हिम्मत करके उज़्मा के पास चले जाते हैं ?
पहले अब्दुल्ला उज़्मा से कहता है ?
उज़्मा जो हमसे गलती हुई हम तीनों को माफ कर दो हम वादा करते हैं आज के बाद कभी भी तुम्हें परेशान नहीं करेंगे !
जब उज़्मा तीनों की यह बात सुनती है तो सोच कर कहती है अगर आज के बाद तुमने मुझे परेशान किया तो मैं तुम्हें कभी माफ नहीं करूंगी उसके बाद उज़्मा इन को माफ कर देती हैं और यह तीनों बहुत ही खुश हो जाते हैं और वापस अपने सिर पर आकर बैठ जाते हैं !
फिर तीनों फहीम से कहते हैं जा अब तू भी माफी मांग ले, हमें तो उज़्मा ने माफ कर दिया ! फहीम अब भी उसी बात से डर रहा था के उज़्मा फिर से मुझे ना डांटे ? उसके दोस्त बहुत कहते हैं पर वह माफी नहीं मांगता और चुपचाप अपनी सीट पर बैठा रहता है ! और सोचता रहता है कि मैं क्या करूं कैसे करूं जिससे मेरे अंदर हिम्मत आ जाए और मैं उज़्मा से माफी मांग सकूं ? बस थोड़ी देर बाद इंटरवल हो जाता है और भी सभी बच्चे ग्राउंड खेलने चले जाते हैं और उज़्मा क्लास में ही बैठी होती है !
जब फहीम यह देखता है उज़्मा अकेली बैठी है तो हिम्मत करके उज़्मा के पास चला जाता है ? उज़्मा से कहता है
सुनो मैं तुमसे माफी मांगना चाहता हूं मेरी वजह से तुम्हें बहुत तकलीफ उठानी पड़ी और मेरे दोस्तों ने तुम्हें बहुत परेशान किया और मेरी वजह से तुम्हारी कॉपी फट गई मैं अपनी तरफ से और अपने दोस्तों की तरफ से माफी मांगता हूं फहीम का यह कहना था और ! उज़्मा बोल पड़ी ?
अरे फहीम मैंने तो तुम्हें उसी दिन ही माफ कर दिया था जिस दिन तुम से कॉपी फटी थी और मुझे बहुत अफसोस हुआ कि मैंने तुम पर गुस्सा किया उसके लिए मैं तुमसे माफी मांगती हूं !
जब यह बात फहीम सुनता है ?
तो बहुत खुश हो जाता है और उज़्मा से कहने लगता है कि मुझे यकीन नहीं होता कि तुमने मुझे माफ कर दिया और फहीम वादा करता है कि कभी कोई तुम्हें परेशान नहीं करेगा और यह बात सुनकर उज़्मा भी खुश हो जाती है! इतने में उज़्मा कि दोस्त ज़िया आ जाती है और उज़्मा को खेलने के लिए अपने साथ ले जाती है !
वैसे तो उज़्मा की बहुत सारी दोस्त हुआ करती थी लेकिन उज़्मा ज़िया को ही अपना बेस्ट फ्रेंड मानती थी और दोनों आपस में अपनी प्रसन्न बातों को शेयर किया करती थी और एक दूसरे में दोनों को बहुत रुचि हुआ करती थी ज़िया उज़्मा को यू पसंद थी क्योंकि वह उज़्मा की बातों को बहुत अच्छे से समझा करती थी
उसके बाद फहीम और उज़्मा एक दूसरे को अच्छे लगने लगते हैं उस समय में उज़्मा फहीम की उम्र केवल 7-8 साल थी! उस समय में उज़्मा फहीम को प्यार लव लाइफ के बारे में कुछ भी पता नहीं था वह यह तक नहीं जानते थे कि प्यार होता क्या है बस रोजाना एक दूसरे को देखते और खुश हुआ करते थे ! और एक दूसरे का चेहरा देखकर दोनों के दिलों को सुकून आया करता था! फहीम का भाई मोहम्मद भी उसी ही क्लास में पढ़ा करता था मोहम्मद गुस्से वाला और बहुत चलाक था हर किसी को परेशान करने में माहिर था और किसी से डरा भी नहीं करता था ! वह किसी से भी छोटी सी छोटी बात पर लड़ लिया करता था खुद गलत होने के बाद भी वह दूसरों की गलती को ठहराया करता था इसी कारण उसकी लड़ाई हो जाया करती थी फहीम को लड़ाई झगड़ा बिल्कुल भी पसंद नहीं था वह इन चीजों से बहुत दूर भागा करता था और ना ही उज़्मा को पसंद था फहीम इसी कारण अपने भाई से बहुत कम बोला करता था और उज़्मा को उससे बोलना बिल्कुल भी पसंद नहीं था मोहम्मद जितना था जितना भी चतुर था और वह उतना ही दिल का साफ भी था फहीम और उज़्मा एक
दूसरे को पसंद करने ही लगे थे परंतु उनको पता नहीं था कि प्यार क्या होता है अब वह ऐसे हो चुके थे एक दूसरे को देखे बिना उनका दिल नहीं लगा करता था उस समय के बाद से फहीम स्कूलों की बहुत छुट्टी करने लगा जब फहीम स्कूल नहीं आता था तो उज़्मा स्कूल नहीं आया करता था उसका दिल बहुत परेशान हो जाया करता था और फहीम को देखने की तमन्ना किया करता था जब फहीम अगले दिन आया करता तो उज़्मा बहुत खुश हो जाया करती थी इतनी खुश मानो जैसे उसको जिंदगी मिल गई हो पर दोनों आपस में एक दूसरे को कुछ भी बताया नहीं करते थे हालांकि फहीम का भी यही हाल था बिना उज़्मा को देखें उसको सुकून नहीं मिल पाता था फहीम की स्कूल की छुट्टी है इसलिए हुआ करती थी क्योंकि वह सुबह जल्दी नहीं उठ पाता था और लेट होने की वजह से वह स्कूल नहीं जाता था एक बार जब मैंने उस की छुट्टियों पर डाटा !
तो उज़्मा ! ने पूछा कि तुम इतनी छुट्टियां क्यों करते हो ?
फहीम ! में वही जवाब दिया मैं सवेरे नहीं उठ पाता इसलिए मैं स्कूल आने में लेट हो जाता हूं और मुझे स्कूल की छुट्टी करनी पड़ जाती है! फहीम के यह कहने के बाद ?
उज़्मा ** कहती है फहीम छुट्टी करने से अच्छा होता है कि थोड़ी सी डांट खाकर क्लास में आ जाओ ! जब भी तुम देर से उठा करो यह मत सोचा करो कि मुझे देर हो गई और तैयार होकर स्कूल आ जाया करो इससे ना तो कभी तुम्हारा काम अधूरा रहेगा और ना ही तुम्हें छुट्टियों पर डांट पढ़ा करेगी !
यह बात फहीम को बहुत अधिक पसंद आई उसके बाद फहीम ने रोजाना स्कूल आना शुरू कर दिया ! अब वह बिल्कुल भी छुट्टियां नहीं किया करता था ! धीरे धीरे उज़्मा और फहीम की बोलचाल होने लगी वह अब आपस में बोल लिया करते थे फहीम सब को भूलकर अब उज़्मा मे ही खोया रहता था हर वक्त अब वह उज़्मा के बारे में सोचने लगा था उसकी रातों की नींद उड़ गई थी रात रात भर वह उज़्मा के बारे में सोचता रहता अपने आप से बातें करने लगता था और यही उज़्मा का हाल था परंतु दोनों ही नादान और दोनों ही को प्यार का मतलब नहीं पता था उन दोनों को इतना पता था के हमें अच्छा लगता है एक दूसरे को देखना ना तो कभी यह बात फहीम उज़्मा से कहता था ना ही उज़्मा फहीम से कहती थी !
अब फहीम और उज़्मा आपस में मजाक करने लगे थे ? फहीम उज़्मा को छेड़ा करता था उज़्मा को एक अलग नाम यानी की मोटी के नाम से बुलाया करता था और उज़्मा इस नाम से चीडा करती थी और फहीम हंसा करता था हालांकि फहीम को उसका हंसना बहुत पसंद था क्योंकि उज़्मा के हंसने पर उसके गालों में गड्ढे से पढ़ते थे और यह फहीम को बहुत पसंद था इसलिए फहीम ज्यादा से ज्यादा उसको हंसाना चाहता था इसलिए वह उज़्मा को छेड़ा करता था ! फहीम और उज़्मा अब दोनों अच्छे से साथ रहने लगे थे और दोनों बहुत कुछ भी कहने लगे थे !
1 दिन क्या हुआ पहले तो फहीम के चाचा स्कूल छोड़ने आया करते थे ? कुछ समय के बाद फहीम ने अपनी एक साइकिल ले ली! फहीम अब रोजाना साइकिल से आया करता था! और उज़्मा को भी साइकिल चलाना पसंद था पर उज़्मा से साइकिल चलाने नहीं आया करती थी ? और उज़्मा का साइकिल चलाने का दिल भी हुआ करता था और डर भी लगता था कि चलाते मैं कहीं गिर ना जाऊं ! इसी कारण उज़्मा फहीम से साइकिल चलाने के लिए कभी नहीं पूछती थी एक दिन उज़्मा का बहुत दिल हुआ साइकिल चलाने का बिना साइकिल चलाएं उज़्मा से रहा नहीं जा रहा था तो?
उज़्मा ** ने फहीम से पूछा फहीम क्या मैं तुम्हारी साइकिल चला सकती हूं ?
फहीम ** ने जवाब दिया क्यों नहीं बिल्कुल चला सकती हो और फहीम न उज़्मा को साइकिल की चाबी दे दी और कहा थोड़ा ध्यान से चलाना साइकिल के ब्रेक हल्के लग रहे हैं ! और उज़्मा ठिक है ये कहकर साइकिल चलाने लगी ! उज़्मा को साइकिल चलाना आया नहीं करता था इसलिए उज़्मा ज़िया की मदद से साइकिल को चला लिया करती थी उज़्मा रोज़ फहीम की साइकिल चलाने लगी थी और उज़्मा से थोड़ी-थोड़ी साइकिल चलानी आने लगी थी एक बार हिम्मत करके उज़्मा ने सोचा क्यों ना मैं बिना किसी सहारे के साइकिल चलाओ और उज़्मा न सोच लिया आज मैं बिना किसी सहारे के साइकिल चला आऊंगी ?
** तो उज़्मा ने ज़िया से कहा जब मैं साइकिल चलाने लगु तो तुम साइकिल को छोड़ देना और मैं खुद चला लूंगी !
** ज़िया न कहां कहीं तू गिर ना जाए ?
** उज़्मा बोली ऐसा नहीं होगा मैं चला लूंगी !
** उज़्मा कि यह हिम्मत देखकर ज़िया ने कहा ठीक है मैं साइकिल को छोड़ दूंगी ?
* जैसे ही उज़्मा ने थोड़ी सी साइकिल चलाई ज़िया को जब लगा कि अब उज़्मा साइकिल चला सकती है तो जिया ने साइकिल को छोड़ दिया !
** उज़्मा ने थोड़ी दूर तक अकेले साइकिल चलाई परंतु वह आगे जाकर दीवार से टकरा गई और साइकिल नीचे गिर गई साइकिल का बैलेंस न बनने के कारण उज़्मा नीचे गिर गई!
** जब फहीम और ज़िया ने देखा तो दौड़ते हुए उसके पास चले गए ! और सबसे पहले फहीम उसके पास पहुंचा पर फहीम न उज़्मा को उठाया नहीं ? जब ज़िया उज़्मा के पास आ गई तो ज़िया ने उज़्मा को उठाया और क्लास मैं ले कर चली गई!
** उज़्मा फहीम से उस टाइम बिल्कुल भी नहीं बोली ?
** फहीम ने सोचा उज़्मा के चोट लग गई है शायद इसलिए मुझसे नहीं बोली और इतने दर्द में कौन बोलता है !
** ज़िया ने उज़्मा को जल्दी छुट्टी दिला कर उससे घर जाने को कहा और उज़्मा अपने घर चली गई!
** अगले दिन फहीम न उज़्मा से पूछा ?
* तुम्हारी तबीयत अब कैसी है !
** तो उज़्मा ने फहीम की बात का कोई जवाब नहीं दिया फहीम ने बहुत बार पूछा कि तुम कैसी हो पर उज़्मा ने कोई जवाब नहीं दिया जब फहीम ने देखा के उज़्मा मुझसे नहीं बोल रही तो वह बहुत परेशान हो गया और अपनी सीट पर वापिस जाकर बैठ गए एक तरफ फहीम का दिल परेशान था की उज़्मा ठीक है या नहीं दूसरी तरफ से यह टेंशन थी कि उज़्मा क्यों मुझ से नहीं बोल रही ! फहीम सोचता रहा पर उसको इस बात का कोई जवाब नहीं मिला फहीम ने सोचा क्यों ना मैं ज़िया से पूछूँ के उज़्मा मुझसे क्यों बात नहीं कर रही तो फहीम ज़िया से पूछने चला जाता है!
फहीम ज़िया के पास जाता है और पूछता है ?
** ज़िया उज़्मा मुझसे क्यों नहीं बोल रही ?
* ज़िया ने जवाब दिया जब तुम मुझसे पहले उज़्मा के पास पहुंच गए थे तो तुमने उज़्मा को क्यों नहीं उठाया था ?
** फहीम ने कहा में कैसे उज़्मा को टच कर सकता था !
उसके बाद ज़िया ने कहा किसी की मदद करने के लिए उसको टच करना पड़े तो कर देना चाहिए और उस टाइम उज़्मा दर्द में थी और तुमने उसको उठाया नहीं उसको यह बात बहुत बुरी लगी !
उसके बाद फहीम अपने आप से बहुत निराश हो गया और सोचने की क्षमता को खो चुका था और उसके दिमाग में बस एक ही सवाल आ रहा था !
** क्यों मैंने दोबारा से गलती की ?
फहीम को यह बात रोजाना परेशान करने लगी थी और रात को सो भी नहीं पाता था यही बात उसके ज़हन मे घूमती रहती थी जब 3 दिन गुजर गए तो उसने सोचा के मैं उज़्मा को उठा लेता कम से कम उज़्मा का दिल तो नहीं तोड़ता ? फिर उसने फैसला किया कि के मैं अब फिर से उससे माफी मांग लूंगा और उज़्मा को कभी भी चोट लगने नहीं दूंगा ! फहीम उज़्मा के पास जाता है और कहता है !
** उज़्मा मुझे माफ कर दो मैंने उस दिन तुम्हें उठाया नहीं और तुम दर्द में थी मुझे डर था कि अगर मैंने तुम्हें टच किया कहीं तुम बुरा ना मान जाओ इसलिए मैंने तुम्हें उठाना अच्छा नहीं समझा और चुपचाप मैंने अपनी साइकिल को उठा दिया पर मैं तुम्हारी तरफ दौड़ता हुआ इसलिए आया था क्योंकि मुझस तुम्हारा दर्द देखा नहीं गया और जब मैं तुम्हारे पास आया तो मुझे यही बात याद आई कि कहीं और बुरा ना मान जाए पर मैं गलत था मुझे उठाना चाहिए था इसलिए मैं तुमसे माफी मांगता हूं मुझे माफ कर दो !
** उसके बाद उज़्मा कहती है फहीम मैंने तुम्हें माफ किया पर आप हमेशा एक बात मेरी याद रखना कभी भी कोई तकलीफ में हो बिना कुछ सोचे उसकी मदद जरूर करना मेरा मतलब यह नहीं है कि तुम बिल्कुल भी ना सोचो जैसा मौका हो उसी तरह उस इंसान की मदद करना !
** फहीम खुश होकर दोबारा से पूछता है क्या तुम अब बिल्कुल ठीक हो ?
** उज़्मा जवाब देती है के हां मैं बिल्कुल ठीक हूं ! दोनों को बहुत खुशी होती है और दोबारा से वह दोनों आपस में बोलने लगते हैं फहीम और उज़्मा दोनों के दिल को सुकून वापिस आ जाता है! और वह दोनों उस दिन इंटरवेल मैं साथ लंच करते हैं उसी स्कूल में एक ठेले वाला आया करता था उसका नाम सोमारी था और वो टिक्की गोलगप्पे बेचा करता था उज़्मा को उसके गोलगप्पे बहुत पसंद थे तो हमेशा से ही उज़्मा गोलगप्पे खाया करती थी और फहीम टिक्की खाया करता था ! उसके बाद फहीम उज़्मा को प्यार में रोज छेड़ा करता था उज़्मा जब रोजाना उसी ठेले पर गोलगप्पे आया करती थी तो फहीम उसको देख कर बहुत हंसा करता था और फहीम को हसता देख उज़्मा भी हंसा करती थी क्योंकि गोलगप्पे काफी बड़ा था और उसके अंदर का पानी उज़्मा के मुंह से निकल जाया करता था तो फहीम इस दृश्य को देखकर रोज हंसा करता था हर रोज उज़्मा भी फहीम को देखकर ऐसा करती थी आखिरकार एक दिन उज़्मा ने पूछ लिया ?
** फहीम मुझे देखकर तुम क्यों हंसते हो ?
** फहीम ने उज़्मा को बताया जब तुम गोलगप्पा अपने मुंह में रखती हो गोलगप्पे का सारा पानी तुम्हारे मुंह से बाहर आ जाता है !
** यह बात सुनकर उज़्मा बहुत हंसती है और कहती है ?
** फहीम तुम बिल्कुल ही पागल हो और उज़्मा हंसते हुए क्लास में चली जाती है !
फिर अगले दिन उज़्मा स्कूल नहीं आती फहीम और उज़्मा का स्कूल सुबह 8 का हुआ करता था जब फहीम ने देखा आज 7:45 AM हो गया तो उसको चिंता होने लगी फहीम उज़्मा का बहुत इंतजार किया पर उज़्मा स्कूल नहीं आई ! फहीम को बहुत चिंता होने लगी फहीम ने ज़िया से पूछा ?
** आज उज़्मा क्यों स्कूल नहीं आई ?
** ज़िया ने जवाब दिया पता नहीं मुझे क्यों आज उज़्मा नहीं आई और ज़िया कहने लगी उज़्मा कभी भी स्कूल की छुट्टी नहीं करती है यह कह कर ज़िया चली गई ! और फहीम भी अपने क्लास में चला गया !
पर फहीम को यह चिंता सताए जा रही थी क्यों आज उज़्मा नहीं आई ?
स्कूल की छुट्टी होने के बाद उसने सोचा कि मैं उज़्मा के घर जाकर पता करू कि वह क्यों नहीं आई ! और फहीम स्कूल से सीधा उज़्मा के घर के लिए निकल जाता है पर उसको उज़्मा का घर नहीं पता था फहीम उसके पूरे मोहल्ले में घूम घूम कर थक जाता है पर उसको उज़्मा का घर नहीं मिलता ? वह निराश होकर वापस अपने घर लौट जाता है और रोजाना की तरह अपना सारा काम करने लगता है फहीम को अब बस इंतजार था सुबह होने का वह इस इंतजार में था कि कल उज़्मा स्कूल आएगी पर उसको नहीं पता था अगले दिन क्या होने वाला है ?