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चुनावी बीमारी

18 October 2022

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सुना है वो चौपाल वाला खडंजा चौड़ा हो रहा है, 
क्या बात कहते हो चचा ,गांव में विधायक जी का दौरा हो रहा है! 

बगीचे की चाहरदीवारी पर पुताई का सफेद घोल चढ़ा रहे हैं, 
सुना है विधायक जी के सेवक, जनता के चेहरे पर खोल चढ़ा रहे हैं! 

पाठशाला में मास्टर जी भी, विकास का भूगोल पढ़ा रहे हैं, 
और कुत्तों ने भी जश्न शुरू किया, भैय्या जी गांव में  सोलर पोल लगा रहे हैं! 

नारी रक्षण पर भाषण सुनकर, लगा भैय्या जी ही त्रेता हैं, 
मंच से दूर दिखा एक सेवक, कहता मुफ्त मदिरा का विक्रेता है! 

दुआरी  पर मोबाइल लिए बैठा था छोटू, बोला पापा चंद्रयान उड़ा रही इसरो, 
विधायक दल का 'बोलेरो दल' निकला और बोला "अच्छे दिन आ गये मित्रों "! 

 ईद के चाँद विधायक जी की, अब पुलिया तक  आती  सवारी है, 
सच कहत हो चाचा तुमही, लागत है ई चुनावी मौसम वाली  बीमारी  है! 

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काव्य-स्मारिका By Nishant Rai
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काव्य स्मारिका अनुगूँज है मेरे काव्य संकलन के शब्दों के चहलकदमी की! इंतज़ार में हूँ इन शब्दों के अनुगूँज से,अपनी एक नज़्म के नगमा बन जाने के..!