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आओ विकसित हिंदुस्तान लिखें!

13 October 2022

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सन सत्तावन की पुरवाई थी, चिंगारी एक जलायी थी,

दुखद दासता के बंधन ने, अंतर ज्वाला भड़कायी थी,

वीरों संग बालाओं ने भी, आहुति शिला सजायी थी,

निर्भयता के धागों में फिर ,साहस ने ली अंगड़ाई थी,

वो कड़ी सुलगती आई थी, वीरों ने वेदी सजायी थी

अनगिन वीरों की स्वाधीन क्रांति, इंकलाब ले आयी थी

बोस, भगत, आज़ाद, शिरोमणि, गांधी की अगुवाई थी

सन् सैंतालिस की भोर घटा में, स्वछंद हवा लहराई थी |

यूँ ही मिली नहीं आज़ादी, वीरों ने मृत्यु वरण किया,

अमृत उत्सव के प्रति वर्ष ने उनके, त्याग कथा का स्मरण किया,

क्या क्षेत्र, रंग ,जाति ,मजहब के बैरों से , ऐसे उनको नमन किया?

या भ्रष्टाचार की चादर ओढ़े, हरबोलों के सपने दफन किया?

सत्यमेव जयते की कलिका, जिस माथे पर मुस्काती है,

भिन्न धर्म हैं, भिन्न हैं लोग, पर भारत माता हर्षाती है,

एक है भारत, एक भारतीय, हिम शिखर से गीत सुनाती है,

मत बाँटो इंसान को धर्म तुला पर, आज़ादी यह मूल मंत्र सिखाती है!

न्याय, स्वतंत्रता , समरसता पर…आओ मिलकर एक नव-पैगाम लिखें,

मंगलयान, चंद्रयान के किस्सों संग, विश्वपटल पर भारत नाम लिखें!

आर्यभट्ट के शून्य से लेकर, रोबोटिक्स तक संस्कृत का ज्ञान लिखें

है पाँचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था हमारी, अब आत्म निर्भरता का नव सोपान लिखें!

अब कथा, कहानी, किस्सों से बढ़कर जगद्गुरु साकार लिखें,

विजयी विश्व तिरंगा अब हर घर में, जन- गण- मन का मान लिखें

काश्मीर से कन्या कुमारी तक भारत ,यह शाश्वत शंखनाद लिखें,

अमृत महोत्सव की बेला पर आओ, विकसित हिंदुस्तान लिखें!article-image

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काव्य-स्मारिका By Nishant Rai
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काव्य स्मारिका अनुगूँज है मेरे काव्य संकलन के शब्दों के चहलकदमी की! इंतज़ार में हूँ इन शब्दों के अनुगूँज से,अपनी एक नज़्म के नगमा बन जाने के..!