जुगनुओ सा मै चमकना चाहती हूं। मन से अपने तेज़ उड़ना चाहती हूं। छवि निहारूं कभी किसी नदी के जल में कभी शिखर पर मैं चढ़ना चाहती हूं। जुगनुओ सा मै चमकना चाहती हूं। अंधेरों को मिटा दूं रोशनी बनकर। दीपक बनकर मैं जलना चाहती हूं। हाथों पे रख कर ओस की बूंदें , अपने मन को मैं डुबोना चाहती हूं।