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दो साल बीत गए उस बात को, जब धीरे-धीरे ज़िंदगी समझ आने लगी थी, और तब से लेकर अब तक, इन दो सालों में ज़िंदगी ही नहीं मौत को भी जिया है, तजुर्बा जिंदगी जीने का भी है, और जीते जी मरने का भी, अच्छा था या ब