I play with words
Free
Sometimes I sit,With my unfinished poem,Fumbling over every word,Stumbling over every sentence.I struggle,Finding phrases to narrate you,While my half written poem,Mocks at me,And I don't understand,E
सुना है ये बरसातें हमें मरज़ बनाते हैं,पर मैंने तो उनमें, फूल खिलते भी देखा है।कहते हैं ये गुलाब हमें कायल बनाते हैं,पर मैंने तो उनके,कांटे भी चुभते देखा है।