ये शब्द नहीं जज़्बात है, जो शब्दों में उमड़ कर किताबों में हैं। ये किताब उनके लिए है, जो शब्दों को नही जज्बातों को समझते है। होठों से नहीं आखों से बात करने में विश्वास रखते हैं।
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