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संघर्ष की एक और रात

4 February 2023

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रोज की तरह सुबह की शुरुआत हुई। सुबह की 6:00 बज रहे थे, डाइनिंग हॉल से अपना बिस्तर समेटकर एक कोने में रखा और मास्क लगाकर मेन गेट की तरफ चल दिया। मेन गेट पर सिक्योरिटी वाला बैठा रहता था जहां हमें प्रतिदिन अपनी हाजिरी लगवानी होती थी और बॉडी टेंपरेचर चेक करवाना होता था। मेन गेट पर हाजिरी लगवाने के बाद में अंदर गार्डन की तरफ बढ़ा जहां पर पानी की 2 अंडरग्राउंड टंकियां थी, वहां पर प्रतिदिन पानी का वाॅल ऑन करना होता था। जिस का टाइम सुबह 6:00 से 9:00 बजे तक होता था, क्योंकि यहां पर सरकारी पानी आता था। अगर कभी में पानी वाली वाॅल ऑन करना भूल जाता तो सारा दिन पानी की बहुत बड़ी किल्लत हो सकती थी, पानी की वॉल ऑन करने के बाद मैं मोटर की तरफ बढ़ा, जिसे ऑन करना भी जरूरी था। क्योंकि इस मोटर को ऑन करने के बाद ही अंडरग्राउंड टैंक वाला पानी छत वाली टंकी पर चढ़ता था। इसके बाद अपने रात वाले बिस्तर को जो कोने में समेट कर रखा हुआ था उसको कंधे पर रखकर में कुली की तरह सीढियों के रास्ते छत तक का सफर तय कर चुका था। स्टाफ रूम में अपना बिस्तर रखा।
अलमारी से बाथकिट और तौलिया लेकर बाथरूम की तरफ कदमों का रुख किया स्टाफ रूम  छत पर था उसके सामने भी कैमरे लगे हुए थे बाथरुम में नहाने जाते समय और नहाकर वापस आते समय बदन पर कपड़े होना आवश्यक था केवल तौलिया लपेट कर काम चला लेना बिल्कुल भी लाजिमी नहीं था अगर कभी ऐसी गलती हो भी गयी तो कैमरे से फोटो कैप्चर हो जाती थी और फिर वही फोटो ग्रुप में डाल दी जाती थी ग्रुप में फोटो आने का मतलब सीनियर द्वारा खिंचाई होना निश्चित था। जब भी कभी न्यू जॉइनिंग स्टाफ ऐसी गलती कर बैठता तो उसे फर्स्ट वार्निंग के साथ छोड़ दिया जाता था, ताकि उसे वहां के रोल से अच्छी तरह पता चल जायें। आखिरकार नहाकर स्टाफ रूम में दाखिल हुआ, यूनिफॉर्म को प्रैस किया और यूनिफॉर्म पहनकर स्टाफ रूम से पूजा स्थल की तरफ बढ़ा और पूजा अर्चना करके फर्स्ट फ्लोर पर अपने केबिन में दाखिल हुआ।  अपनी केबिन के सिस्टम वाले टेबल को डस्टिंग किया सिस्टम ऑन किया ईमेल चेक करी, उसके बाद किचन में जाकर स्टॉप चाय ली। स्टॉप चाय का मतलब नॉर्मल चाय, फिर डायनिंग हॉल में जाकर ब्रेकफास्ट के सैटअप को चेक किया। ब्रेक फास्ट का मीनू तो पहले से ही डिसाइड होता था।
कभी-कभी अचानक मीनू आलाकमान से चेंज हो भी जाता था तो तब उस समय सबसे महत्वपूर्ण चुनौती होती थी ब्रेकफास्ट का अरेंजमेंट करना और तय समय पर निपटाना। अक्सर मार्केट भी सुबह के 8:00 बजे खुलने प्रारंभ होती थी, मगर इन सब चुनौतियों से निपटना अब शायद आदत सी बन गई थी। आज का दिन वैसे ही भी अलग होने वाला था गेस्ट का ब्रेकफास्ट निपटा कर अपनी केबिन की तरफ बढ़ा डेली रिपोर्ट बनानी स्टार्ट की, रिपोर्ट तैयार करके आलाकमान को मेल किया। इस ऑर्गेनाइजेशन की सबसे बड़ी बात यह थी कि आप बेशक खाना खाना भूल जाओ चलेगा, अगर उस खाने की फोटो खींचना भूल गए तो फिर खैर नहीं।
खाने की फोटो मिस कर देना उस आलाकमान की नजरों में सबसे बड़ा गुनाह करने लायक था रिपोर्टिंग की प्रक्रिया पूरी करने के बाद किचन में गया नाश्ते के लिए प्लेट उठाई आज के नाश्ते में मिस्सी रोटी विद टी था। आखिरकार नाश्ता किया और फिर किचन से डेली नीड्स आइटम और वेजिटेबल्स की लिस्ट लेकर केबिन में चला गया मन्नू को रीडिंग के लिए भेज दिया सुबह और शाम के समय दो वक्त रिडिंग लेना अनिवार्य था। जैसे ही वेजिटेबल्स वाले को फोन किया अपनी रिक्वायरमेंट लिखवानी स्टार्ट की तब एक नई चुनौती फिर अपनी दस्तक देती हुई महसूस होने लगी। लॉक डाउन की मार झेल रहा मार्केट ही मेरी रिक्वायरमेंट कहां पूरी करने वाला था वेजिटेबल्स वाले के पास 10 में से 5 आइटम तो उपलब्ध होते ही नहीं थे आखिरकार वेजिटेबल्स की लिस्ट को शॉट आउट करके अपने पास रख लिया। फिर स्टाफ मैनेजमेंट और हाउसकीपिंग की जॉइंट ब्रीफिंग के लिए मीटिंग रूम में प्रवेश किया। हाउसकीपिंग और स्टाफ ब्याॅयज को उनका काम समझा कर जॉइंट ब्रीफिंग को समाप्त किया। वेजिटेबल्स की शार्ट आउट लिस्ट को लेकर में मार्केट की तरफ निकल गया लगभग सारी मार्केट में चहल कदमी करने के बाद में उस आग उगलती गर्मी में पसीने से तर हो चुका था। 
बड़ी मुश्किल से उन सारी रिक्वायरमेंट वाली वेजिटेबल्स को इकट्ठा किया और फिर पैदल ही गेस्ट हाउस की तरफ निकल लिया क्योंकि जिम्मेदारी को समझना भी जरूरी था। मैं नहीं चाहता था कि अपने आखिरी सर्विस वाले दिन कोई जिम्मेदारी बाकी रह जाए। आखिर जैसे ही गेस्ट हाउस में दाखिल हुआ फिर से एक जिम्मेदारी मेरा इंतजार कर रही थी। आलाकमान से मेल था कि प्रॉपर्टी की पिक्चर्स भेजनी हैं। तुरंत ही फोन निकाला और चल पड़ा गार्डन से गेस्ट हाउस की आखिरी कोने की ओर फोटो क्लिक करते हुए यह जिम्मेदारी का निर्वहन करने। अंत में आखिरकार इस जिम्मेदारी को भी एक प्यारी सी स्माइल के साथ समाप्त किया। फाइनली आज मैं संघर्ष की आखिरी रात से दिन भर का सफर तय कर चुका था।

✍सुमित जोशी 'राइटर'❤