यह कहानी एक ऐसे लड़के की है जो बचपन से ही शरारती और बिगड़ा हुआ था। और उसके माता पिता उससे बहुत दुखी हो चुके थे समय बिता और वह बचपन से जवानी में आ गया और फिर उसकी जिंदगी में कुछ ऐसा हुआ जिसने उसकी पूरी जिंदगी बदलकर रख दी।
सुंदरनगर नाम का एक गांव था। उस गांव में सोनू नाम का एक बच्चा रहता था। सोनू का परिवार बहुत गरीब था लेकिन सोनू बचपन से ही बहुत शरारती था सोनू के माता पिता भी उससे बहुत दुखी रहते थे क्योंकि गांव के लोग रोज उसकी शिकायत लेकर सोनू के घर आते थे और सोनू के माता पिता से सोनू की शिकायत करते।
एक दिन की बात है सोनू स्कूल गया हुआ था और सोनू की मम्मी को सोनू के पिताजी ने कुछ पैसे घर खर्च के लिए दिए। सोनू जब स्कूल से आया तो उसने अलमारी में पैसे रखे हुए देखे तो सोनू के मन में लालच आ गया। सोनू ने उन पैसों में से कुछ पैसे चुरा लिए और कपड़े बदलकर खेलने के बहाने घर से बाहर चला गया।
बाहर जाकर सोनू ने उन पैसों से खूब सारी चीज़ें खरीद कर खाई। इधर सोनू की मम्मी ने जब घर के राशन के लिए पैसे देखे तो उन्हें पैसे कम मिले तो उन्हें सोनू पर शक हुआ। सोनूं खेलकर जब घर आया तो उसकी मम्मी ने उससे पुछा की तुमने अलमारी से पैसे लिए क्या तो इसपर सोनू से कहा नहीं मैंने नही लिए।
इसी तरह कई बार सोनू से घर में पैसे चुराए और बाजार जाकर खर्च कर दिए। एक दिन सोनू की मम्मी ने सोनू को पैसे चोरी करते पकड़ लिया। उस दिन सोनू की बहुत पिटाई हुई और सोनू ने दोबारा चोरी ना करने की बात कहते हुए अपने माता पिता से माफी मांगी।
समय गुजरता गया और सोनू बच्चें से जवान हो गया। सोनू की चोरी की आदत तो छूट गई पर वह अब कुछ गलत दोस्तों के चक्कर में नशा करने लगा।
एक दिन सोनू घर के पास वाले पार्क में बैठा था। तभी उसकी नजर एक लड़की पर पड़ी। सोनू को पहली ही नजर में वह लड़की अच्छी लगी और सोनू ने उससे बात करने के लिए उसकी तरफ चल पड़ा। पास जाकर सोनू की हिम्मत नहीं हुई की उस लड़की से बात कर सके तो सोनू वहा से आगे बढ़ गया।
एक दिन सोनू सुबह का समय था सोनू की मम्मी ने उसे दूध लाने के लिए भेजा। सोनू जब दूध लेने के लिए दुकान पर पहुंचा तो वही पार्क वाली लड़की उसे दुकान पर मिली। सोनू ने दुकान से सामान लिया और घर की तरफ चल पड़ा तभी पीछे से आवाज आई " सुनो " जब सोनू ने पीछे पलटकर देखा तो वही लड़की पीछे खड़ी थी।
सोनू ने कहा जी बोलिए तो लड़की ने सोनू से कहा की मैं और मेरा परिवार यहां पर नए आए है क्या आप बता सकते है कि यहां पर बैंक कहा है। सोनू ने कहा जी बैंक तो यह से 12 किलोमीटर दूर है लड़की ने कहा " ठीक है आपका धन्यवाद " इतना कहकर लड़की अपने घर की तरफ चली गई और सोनू अपने घर आ गया।
सोनू घर आया तो उसके पिताजी ने कहा कि सोनू आज बैंक जाकर कुछ पैसे निकाल लाना घर का राशन खत्म हो गया है आते समय राशन लेकर आना और फालतू पैसे मत खर्च करना। इतना कहकर सोनू के पिताजी अपने काम पर चले गए।
इधर सोनू मन ही मन बडबडाते हुए साइकिल निकाली और बैंक की तरफ चल दिया। रास्ते में सोनू को वही लड़की मिली तो सोनू से साईकिल रोककर उससे पूछा आप कहा जा रही हो। तो लड़की ने कहा मैं बैंक जा रही हूं इसपर सोनू ने कहा की मैं भी बैंक ही का रहा हूं चलो मैं आपको बैंक तक छोड़ दूंगा। लड़की साईकिल पर बैठ जाती है और दोनों बैंक की तरफ चल पड़ते है।
बैंक पहुंचकर दोनों ने अपने अपने काम निपटाए और फिर साथ में दोनों अपने अपने घर वापस आ गए।
एक दिन शाम को सोनू पार्क में बैठा था तभी अचानक से वही लड़की पार्क में आ गई। सोनू को देखकर वह सोनू के पास आकर बैठ गई और सोनू से कहा आपका धन्यवाद आपने इस दिन मेरी बैंक जाने में मदद की थी।सोनू ने कहा कोई बात नहीं मैं भी वही जा रहा था इसमें धन्यवाद की कोई जरूरत नहीं है।
ऐसे ही बातें होती रही दोनों ने एक दूसरे का नाम और नंबर पूछा तो सोनू ने कहा कि " मेरा नाम सोनू है " और लड़की ने अपना नाम अंजली बताया फिर कुछ देर बातें करने के बाद दोनों अपने अपने अपने घर चले गए।
ऐसे ही सोनू और अंजली रोज शाम को पार्क में मिलने लगे और घंटों साथ बैठकर बातें करने लगे। और उन दोनों में कभी कभी फोन पर भी बातें होने लगी।
एक दिन सोनू ने अंजली से कहा की मैं तुम्हें पसंद करता हूं अंजली ने कुछ देर सोचा और सोनू को कहा की मैं भी तुम्हें बहुत पसंद करती हूं इतना कहकर दोनों ने एक दूसरे को गले लगा लिया।
अब सोनू और अंजली रोज फोन पर बातें करने लगे और जब भी मौका मिलता तो दोनों किसी न किसी बहाने से मिलने लगे। अब सोनू ने अपने गंदे दोस्तों का साथ भी छोड़ दिया और नशा करना भी छोड़ दिया।
समय गुजरा और एक दिन सोनू अंजली के घर के सामने से जा रहा था तो अंजली के घर में कुछ लोगों को जाते हुए देखा। शाम को सोनू और अंजली दोनों पार्क में मिले तब सोनू ने कहा कि अंजली आज तुम्हारे घर में कुछ लोग आए थे। इस पर अंजली ने कहा कि हां मेरे कुछ रिश्तेदार आए थे। सोनू ने कहा ठीक है। फिर दोनों प्यार मोहब्बत की बातें करने लगे और अपने अपने घर चले गए।
कुछ दिन बाद अंजली का फोन आया तो सोनू ने कहा जा बोलो अंजली क्या बात है तो अंजली ने कहा कि सोनू मैं कुछ दिन के लिए शहर का रही हूं अपने मामा जी के घर तो सोनू ने उदास होते हुए कहा कि वापस कब तक आओगी। अंजली ने कहा कुछ दिन बाद वापस आ जाऊंगी। सोनू ने कहा जल्दी आना तुम्हारे बिना मेरा मन नहीं लगेगा। अंजली ने कहा मेरा भी मन नहीं लगेगा पर मां पिताजी के साथ ही आना जाना है तो अपनी मर्जी से आ जा नहीं पाऊंगी।
शाम को अंजली और उसके माता पिता ट्रेन से शहर चले गए और सोनू पार्क में उदास बैठा रहा। रात होने को आई तो सोनू घर आ गया और खाना भी सही से नहीं खाया और अपने कमरे में जाकर सो गया।
कई दिन गुजर गए तो सोनू ने सोचा कि अंजली से फोन पर एक बार बात कर लेता हूं। सोनू ने अंजली को फोन मिलाया तो फोन बंद आ रहा था। सोनू ने बहुत बार फोन मिलाया पर हमेशा अंजली का फोन बंद आता था। अब सोनू उदास रहने लगा।
एक दिन सोनू की मम्मी ने सोनू से पूछा " क्या हुआ सोनू " इसपर सोनू ने कहा " कुछ नहीं मम्मी " और इतना कहकर सोनू घर से बाहर निकल गया और पार्क में जाकर बैठ गया।
पार्क में बैठे बैठे सोनू के पुराने नशेड़ी दोस्त मिले और उन्होंने सोनू को कहा " क्यों बे तूने उस लड़की के लिए दोस्ती तोड़ दी और उस लड़की ने किसी और से शादी कर ली " सोनू को यह सब सुनकर बहुत गुस्सा आया। फिर उसने कहा " झूठ मत बोल वो अपने मामा के घर घूमने गई है " इतना सुनकर सोनू के दोस्त हसने लगे और सोनू को कहा " वो घूमने नहीं शादी करने गई थी " इतना कहकर एक दोस्त ने उसे अंजली की शादी की फोटो दिखाई तो सोनू के पैरों तले जमीन खिसक गई।
सोनू ने उस दिन देर रात तक पार्क में बैठकर रोता रहा और फिर घर आ गया और बिना खाए अपने कमरे में चला गया। अब सोनू सुबह जल्दी घर से निकल जाता और शाम को देर से घर आता। एक दिन सोनू के पिताजी ने उससे कहा सोनू कुछ काम कर ले कब तक हम तुझे बैठाकर खिलाते रहेंगे। कल को जब हम दोनों नहीं रहेंगे तब तुझे कौन कमाकर खिलाएगा।
सोनू यह सब सुनकर घर से बाहर चला गया और पार्क में जाकर बैठ गया। सोनू बहुत सोचा और एक गहरी सांस ली और कहा कि अब वह अंजली को भूलकर अपनी जिंदगी की नई शुरुआत करेगा। अगले दिन सोनू सुबह जल्दी उठ गया और बिना खाए पिए घर से यह बोलकर निकल गया कि शाम को आने में थोड़ी देर हो जायेगी।
उस दिन सोनू अपने और आस पास के गांव में काम की तलाश में भटकता रहा लेकिन उसे कोई काम नहीं मिला। थक हार कर वह घर को तरफ वापस चल दिया चलते चलते वह एक कुएं के पास रुका और पानी पीने बाद थोड़ा आराम करने लगा। तभी वहा पर एक व्यक्ति आया उसके पास बहुत सारे कपड़े थे वह व्यक्ति कुएं पर पानी पीने के लिए रुका था।
जब वह व्यक्ति पानी पीकर जाने लगा तो सोनू ने उस व्यक्ति से कहा " सुनो भैया मुझे कुछ काम मिल सकता है तुम्हारे पास " उस व्यक्ति ने सोनू को ऊपर से नीचे तक देखा और बोला " नहीं भाई मेरे पास कोई काम नहीं है मैं खुद रोज गांव गांव जाकर फेरी लगता हूं सोनू ने कहा " भैया मुझे भी कोई काम दिलवा दो मैं बहुत मेहनत से काम करूंगा कोई शिकायत का मौका नहीं दूंगा " उस व्यक्ति ने काफी देर सोचा और सोनू को कहा " मेरे पास तो कोई काम नहीं है पर हां अगर तुम काम करना चाहते हो तो मैं तुम्हें बाजार से कम दाम पर कपड़े दिलवा सकता हूं जिन्हें तुम अच्छे दाम पर बेचकर पैसे कमा सकते हो बस मेहनत थोड़ी ज्यादा करनी पड़ेगी " सोनू ने कहा " हा भैया मैं कर लूंगा " उस व्यक्ति ने कहा ठीक है तो मुझे कल सुबह मिलना और अपना नंबर देकर वह व्यक्ति वहा से चला गया। और सोनू भी अपने घर आ गया।
अगले दिन सोनू सुबह नहा धोकर तैयार हुआ और मंदिर में दीया जलाया और भगवान से प्रार्थना कर घर से निकल गया। सोनू के माता पिता ने पहली बार सोनू को पूजा करते हुए देखा तो उन्हें विश्वास ही नहीं हुआ की उनका बेटा सोनू अब बदल गया था।
सोनू ने उस व्यक्ति को फोन किया तो उस व्यक्ति ने कहा कि तुम गांव के पास वाली सड़क पर आ जाओ मैं तुम्हें वही मिलता हूं। सोनू गांव के पास वाली सड़क पहुंच गया और थोड़ी देर में वह व्यक्ति आ गया और दोनों बाजार चल दिए। बाजार पहुंचकर उस व्यक्ति ने सोनू को दुकान वाले से समान दिलवाया दुकानदार ने कहा कि हर समान पर ₹25 तुम्हारे होंगे जितने ज्यादा समान बेचोगे उतना ज्यादा तुम्हारा फायदा होगा।
समान लेकर सोनू गांव गांव जाकर कपड़े बेचने लगा सुबह से शाम हो गई पर एक भी कपड़ा नहीं बिका तो सोनू मायूस होकर एक पेड़ के नीचे बैठ गया। थोड़ी देर में एक औरत उस रास्ते से गुजरी तो उसने सोनू के पास कपड़े देखे तो रुक गई और एक दुपट्टा खरीद लिया। शाम होने वाली थी और सोनू को वापस दुकान पर हिसाब देने भी जाना था तो सोनू दुकान की तरफ चल दिया।
दुकान पहुंचकर सोनू ने हिसाब दिया और दुकानदार ने सोनू को तय पैसे के हिसाब से ₹25 दे दिए। सोनू ने जब वह ₹25 अपने हाथ में लिए तो उसे ऐसा लगा मानो बहुत कीमती चीज उसके हाथ में है। सोनू घर की तरफ चल दिया और रास्ते भर यह सोचता रहा कि मेहनत के पैसे की कीमत मेहनत से कमाने के बाद ही पता चलती है सोनू अब पैसे की कीमत समझ चुका था। सोनू घर आया तो उसके माता पिता ने पूछा " सोनू सुबह से बिना खाए पिए कहा घूमने गया था " सोनू ने अपने पिता की हथेली पर ₹25 रख दिए और बोला " पिताजी यह मेरी पहली कमाई है जो मैंने चोरी से नहीं अपनी मेहनत से कमाई है " सोनू की बात सुनकर सोनू के माता पिता की आंखों में आसूं आ गए और उन्होंने सोनू को गले से लगा लिया।
सोनू ने अपने माता पिता से कहा कि " आज मैंने पैसे की कीमत समझ ली है मैं वादा करता हूं कि आज के बाद आपको मेरी वजह से किसी के आगे शर्मिंदा नहीं होना पड़ेगा। सोनू की बात सुनकर माता पिता ने भी सोनू को आशीर्वाद दिया।
अगले दिन सोनू और ज्यादा उत्साह के साथ काम पर गया और उसने उस दिन 20 कपड़े बेचे। ऐसे करते करते सोनू ने अपनी एक छोटी सी दुकान खोली और अब गांव के बिगड़े हुए लड़कों और बेरोजगार लड़कों को काम देना शुरू किया। देखते देखते गांव के बिगड़े हुए लड़के भी सुधर गए और काम करने लगे।
अब सोनू को आस पास के सभी गांव के लोग जानने लगे। सोनू के माता पिता जहा से भी गुजरते लोग कहते देखो सोनू के माता पिता जा रहे है। जो लोग सोनू को गालियां देते थे वही आज सोनू की तारीफ कर रहे थे। सोनू के माता पिता को सोनू की तारीफ सुनकर बहुत खुशी होती थी। जल्दी ही सोनू बहुत बड़ा व्यापारी बन गया और उसके पास गाड़ी बंगला नौकर चाकर सब हो गया।
दोस्तों दुनिया चाहे कितनी भी कोशिश कर ले अगर आप खुद को मजबूत रखते हो तो आपको गालियां देने वाले खुद एक दिन आपकी तारीफ करेंगे।
दोस्तों आशा है कि यह कहानी आपको पसंद आई होगी। मिलते है किसी और कहानी में तब तक के लिए धन्यवाद