अपने ही उजास में सिमटा
रोशनी के चादर में लिपटा।
कभी तू मां की लोरी बन जाता
पागल प्रेमी को प्रेमिका बन दिख जाता।
आधा कभी तो तू पूरा
पूर्णमासी का चांद बन जाता
असंख्य तारों के बीच तू
बड़ा मनमोहक हो जाता।
अमावस की एक काली रात को
तू पूरा आसमां खाली कर जाता।
तुझ बिन वो दिन सब सून सून
मन मेरा भी खाली खाली रह जाता।
दूजे दिन तू फिर आधा कभी
पूरा पूर्णमासी का चांद बनने की
की तैयारी में लग जाता।