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" नारी शक्ति का दुरुपयोग "

21 September 2022

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👃👃👃🌷नारी शक्ति 🌷👃👃👃

तु अमृतमयी तु जन्मदात्री ,
तु ही हमें संयोयी है ,
खड़ा किया चलना सिखाईं ,
पहचान एक - एक कराईं है ।

ईंक तुही तेरी रूप अनेक , 
सर्वत्र तेरी ही माया है ,
रक्तो कि धारा बहाने वाली,
तु नाड़ी तु नारी तू ही मेरी काया है।

नासिका से श्वास संचालन ,
नासिका रूप ढ़ाई है ,
हे..... मेरी प्राणाधार , 
तुही मेरी पहचान कराई है ।

तुझसे चुराके क्या - क्या ना खाया,
आचरण दो मुखी बनाईं है,
श्रेष्ठ दिखाने कि चाह से तुझको,
पग-पग अपमानित कराईं है ।

दोषारोपण हर बार की तुझपर,
तु तनिक नहीं घबराई है ,
उल्टी -सिधी पांच पन्नो कि,
तिखे शब्द सुनाई है ।

अर्द्धांगिनी नारी को मैंने , 
जुती स्वरुप बनाईं है , 
बहन बेटी को खेल गुड़ियों कि,
घिनौनी संसर्ग अपनाई है ।

तब भी चैन नहीं ली मैंने ,
उन्हें बिक्री कराईं है , 
वृद्ध मां - पिता को ना छोड़ा ,
वृद्धाश्रम तक पहुंचाई है ।

प्रदुषित विचारों कि प्रगाढ़ता , 
छिन्न भिन्न कर डालीं है , 
चरित्र रिश्ते मनोभावना को , 
लोभांग्नि जला डालीं है । 

अंध बना लोभ के कारण , 
धन यौनकिड़ा में गंवाई है , 
नारी सोसड़ कि भागिदारी , 
अमानुष हद तक ढ़ाई है । 

नारी जगत का अत्याचारी , 
एक विचार हीं कहर डारी , 
अगर विचार प्रदुषित ना होता,
मनोरम सम्बन्ध होती उजियारी ।

आर्य मनोज , २०.०९ .२०२२

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