महान माँ
(बिजू शीरापानी) केरल
माँ महान और देवी है, प्रेम और स्नेह का प्रतीक है
सहनशीलता और वह हासिल कर लेती है
ज्ञान और महान संवेदनशीलता
वह मनमोहक है और सदैव के लिए संकटों और अव्यवस्थाओं से मुक्त हो जाती है
बेटे-बेटियाँ पहले सीखते हैं
उससे सबक लें और वे सीखें
उसके स्वभाव, संस्कृति और गुणों से, पीढ़ी का निर्माण
उनका सदैव योगदान रहा
माँ हमारे लिए स्वादिष्ट खाना बनाती है
हम उससे झगड़ते और लड़ते हैं
लेकिन वह बिना किसी कठिनाई और नफरत से फिर हमसे प्यार करती है
उसे प्यार देने में देर नहीं होता
हमारी प्यारी माँ जिम्मेदार है
हमारे लिए घर पर और बाहर
वह ईश्वर से आशीर्वाद, सुरक्षा और समृद्धि पाने की प्रार्थना करती है
घर पर अपने बच्चों के साथ परिवार में
वह रोजाना सुबह जल्दी उठ जाती है
तथा घर-आंगन की साफ-सफाई करती है
प्यारी माँ सबको जगाती है
घर पर प्रतिदिन कर्तव्य एवं उत्तरदायित्व की प्रेरणा देती हैं
लेकिन आधुनिक बच्चा अपनी माँ को भूल जाता है
क्योंकि, वह बूढ़ी और पतली है
न कोई सौंदर्य और न कोई आकर्षक
उसे अपमान और पीड़ा मिलती है
आधुनिक बच्चा और पीडाओं देती है
आधुनिक बच्चे, अपना माँ को मत भूलना
अपने माँ की स्तन का दूध मत भूलना
माता खून से अपनी छाती में जो बनाती हैं
आपके लिए बहुत प्यारा और प्रेरित करने वाला
उसे अनाथालय में मत धकेलो
एक बार तुम्हें बहुत कष्ट होगा
यह तीसरा शानदार, अर्थपूर्ण कविता है
श्री बीजू एस कि .वह हमारा माँ की वर्णन करते है
माँ महान और प्यारी है। वह स्वादिष्ट खाना बनाती है और घर की सफाई करती है.बच्चे, माँ से झगड़ते हैं। लेकिन माँ बिना किसी नफरत के हमें फिर से प्यार करती है। वह दूध का सागर और स्वर्गीय हृदय है। लेकिन आधुनिक बच्चा उसे भूल जाता है। बच्चा उसे अनाथालय में धकेल देता है। उसके लिए शयानी माँ सुंदरता और आकर्षक नहीं है। कवि आधुनिक बच्चे को अपनी और अपनी माँ को याद रखने का निर्देश देता है। अमृत और स्नेह की इस सागर को मत भूलना।