मोहम्मद आबिद 2 साल से हिंदी राइटर लिख रहा इस चीज का हमें 2 साल का तजुर्बा है
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(1) एक दिन अचानक लाश की गड्डी से उछलकर निहालचंद पर जा बैठा जोकर देखते रह दया बादशाह बेगम गुलाम तोहर गुलाम थे पहले पहले भी आवक छक्कों पंजों का कुछ नहीं चल रहा था तो दोगुनी 3 गुण कौन पूछेहालांकि लाल पान