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माँ ने मारा चाहत को थप्पड़

25 July 2024

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शर्मा परिवार में

–"चाहत की माँ हमारा दिल बहुत गब्रा रहा है, शाम होने आई है, ये चाहत कहाँ रह गई, लड़के वाले भी आते ही होंगे।"अरविंद जी ने कहा,

–"आप क्यों इतना परेशान हो रहे हो आजाएगी वो"स्वर्णिमा जी ने कहा,

–"पर बहू अब तो हमें भी लग रहा है, अरविंद का डर गलत नहीं है, इतनी देर तो,कभी नहीं हुए ,और अगर कभी देर से आना होता है, तो फोन करके बता देती, उसका फोन भी कभी बंद नहीं होता" दादाजी ने कहा,

चाहत के घर पर सब उसके लिए परेशान थे|

वहीं दूसरी तरफ़

चाहत को जब ये मेहसूस हुआ कि ,उस आदमी ने उसे कमर से पकड़ा है,उसने तूरंत खुद को उसकी पकड़ से छुड़ाने की कोशिश की,पर  वह नाकाम थी, क्यूंकि उस आदमी की पकड़ इतनी मजबूत थी कि चाहत, चाह के भी खुद को नहीं छुड़ा पा रही थी,  उसकी थोड़ी भी कोशिश करने पर वो आदमी चाहत की कमर और कसके पकड़ लेता मानो जैसे वो खुद से दूर कर देगा तो वो गायब हो जाएगी।

चाहत ने कहा आप –"ये क्या कर रहे हैं आप छोडिए ,हमें जाने दीजिए" पर उसको तो कोई  फ़र्क ही नहीं पड़ रहा था जैसे उसे कुछ सुना ही नहीं दे रहा हो।

तभी किसी की आबाज आती है –"अर्जुन भाई कहाँ हो आप सब आपको बहार पूछ रहे हैं"

"ये आवाज सुनकर अर्जुन की नजर उस तरफ जाती है ,और उसकी पकड़ चाहत पार से ढीली पड़ जाती है ,ये देख कर चाहत अपनी पूरी तागत का इस्तेमाल कर अर्जुन को थक्का देकर वहाँ से भाग जाती है ,अर्जुन उसे तब तक देखता है जब तक वो उसकी आँखों से दुर नहीं चली जाती|

तबी कोई फिर बोलता है –"भाई आप उधर क्या देख रहे हैं चलो सब आपका इंतजार कर रहे हैं| आज सादी है आपकी और आप यहां ऐसे घूम रहे हैं" ये है आरुष सिंह राणावत ,राणावत परिवार का छोटा बेटा| 

और जिसने चाहत को पकड़ा था, वो था अर्जुन सिंह राणावत, राणावत परिवार का बड़ा बेटा और हमारी कहानी का हीरो|    अर्जुन ही वो लड़का था ,जिसकी आज यहाँ सादी थी, मिस्टर एंड मिसेज बजाज की बेटी नताशा बजाज से, जिसका लहंगा चाहत ने पहना था|  आरुष जल्दी से आंगे आता है और डरते हुए अर्जुन का हाथ पकड़ के उसे सबके बीच हॉल में ले आया|

चाहत के घर पर

डोरवेल की आबाज़ सुनकर प्रिया जल्दी से दरबाजा खोलने जाती है ,और बोलती है –" Finally  दी आ गई "

जैसे  ही वो दरबाजा खोलती है वो बोलती –"दी कहाँ रह गई थीं आप", लेकिन जब वो सामने दिखती है ,तो बिल्कुल चुप हो जाती है,

दरबाजे पर खड़ा इंसान बोलता है –"क्या हुआ तुम हमें देख कर ऐसे चौंक गई जैसे कोई भूत देख लिया हो" "नहीं नहीं आंटी जी हम तो आपका ही इंतजार कर रहे हैं"प्रिया ने कहा,

तबी अरविंद जी ने बात समालते हुए कहा– "आप वहाँ क्यों खड़ी हैं अंदर आइए"आशा जी घर के अंदर आयी उनके साथ उनके पति महेश जी और, उनका बेटा रोहित और कुछ रिस्तेदार भी आये|

ये है दीक्षित परिवार जिनके एकलौते बेटे, रोहित दीक्षित से आज चाहत की सगाई होने वाली थी|  पर उनको कोन बताये कि चाहत ही घर पर नहीं है|   

दूसरी तरफ उदयपुर मैं, बैंक्वेट हॉल में सन्नाटा था| एक आदमी अपने गार्ड्स को ऑर्डर देता है,–" जाओ मेरी बेटी को कहीं से भी डूड के लाओ,मेरी नताशा ऐसे भाग नहीं सकती मुझे लगता है कि किसी ने उसका किडनैप किया है|

तबी किसी की रोबदार अबाज आती है,

–"बस करो नीलेश अपनी बेटी के कर्म को छुपाने के लिए कुछ भी मत बोलो, इतनी सेक्यूरिटी में से कोई कैसे किसी को किडनैप कर सकता है,   वो भी ये जानते हुए की वो राणावत खानदान की होने वाली बहू है, तुम्हारी बेटी ने तुम्हारी ही नहीं बल्कि राणावत परिवार का नाम भी खराब कीया ,ये सादी अब नी हो सकती है"

ये हैं शक्ति सिंह राणावत, अर्जुन सिंह राणावत के दादाजी|

शक्ति सिंह जी के ऐसे रिश्ते तोड़ देने से  सब लोग बातें करने लगे इदर, नताशा की माँ  रागिनी बजाज भी ये सुनकर दुखी हो गई और वो अर्जुन की तरफ बढ़ने लगी और बोली  —" अर्जुन बेटा तुम तो जानते हो ना ,मेरी नताशा ऐसी नहीं है, वो तुमसे सादी करना चाहती थी ,प्लीज अपने दादाजी को समझाओ| "

arjun singh ranawat इसकी उम्र 28 साल, 6 फिट हाइट, मस्कुलर बॉडी, 6 packs aps, गहरी काली आँखें और गोरा रंग, कोई भी लड़की इसकी दीवानी हो जाए,अर्जुन को देखकर कोई ये नहीं कह सकता ,कि उसके मन में अभी क्या चल रहा है , उसका aura इतना storng और attractive था  कि एक बार कोई देख ले तो तारीफ किये बिना रह ना पाये|   

अर्जुन ने एक नज़र रागिनी जी, पर डाली फिर,सिकंदर को अपनी आँखों से इशारा करता है  उसका इशारा समझ कर, सिकंदर, रागिनी जी को अर्जुन के सामने से ले जाता है|




उदर चाहत उस हॉल से भाग कर ,सीधे अपनी दोस्त पल्लवी के घर पहुंचती है, दरबाजे की आबाज सुनकर पल्लवी बोलती है, अरे आ रही हूंँ, इतनी भी क्या जल्दी है, लेकिन दरबाजे पर खड़ी चाहत को देकर वो हैरान रह जाती है|

पल्लवी  हैरानी से बोलती  है, 

–"चाहत  ये क्या हुआ तुझे  ,और ये तो सादी का लहंगा है, तूने सादी करली ,किसके साथ बताई भी नहीं और लड़का कोन है, हैंडसम तो है ना, और अमीर भी, एक मिनट तूने क्या भाग के सादी की है, "

पल्लवी अपनी ही धुन मैं,बोले जा रही थी बिना चाहत की बात सुने, चाहत  ने गुस्से में उसके मुहॅ पर हाथ रख दिया –"कितना बोलती है तू पल्लवी थोड़ा साँस लेले हम पहले ही थक गए हैं भागते भागते, पहले तू जल्दी से मुझे अपने कपडे दे मुझे जल्द से जल्द घर पहुँचना है, पापा कितनी टेंशन में होंगे हमारे लिए, पल्लवी हम तुम्हें सब बाद में बताएंगे ,अभी हमें निकलना है, "और ये कह कर चाहत पल्लवी के घर से कपड़े चेंज कर अपने घर के लिए निकल गई|




Sharma house

चाहत घर पर नहीं है,ये बात घर मैं सबको पता चल गई थी| रोहित के माँ, बाप को भी ये खबर लग चुकी थी ,इसलिए उन्होंने चाहत की फैमिली को बहुत सुनाया और चाहत के ऊपर इल्जाम भी लगाया जैसे वो किसी के साथ भाग गई और ये रिस्ता भी तोड़ दिया |

अब रात के 11 बजे थे और सारे रिस्तेदार  जा चुके थे, तभी चाहत घर आती है, और आते ही अपने पापा के पास जाती है, लेकिन वो बिना कुछ कहे अंदर चले जाते थे ,फिर चाहत अपनी माँ की तरफ बढ़ती है, तो स्वर्णिमा जी अपनी बेटी को एक झोर का थप्पड़ मार देती हैं।

आख़िर क्यों मारा था चाहत की माँ ने उसको थप्पड़, और कहाँ है नताशा, क्या सचमें वो भाग गई है या है कोई और बात? 


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Ishq ibadat
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ले कहानी तीन ऐसे लोगों के इर्द-गिर्द घूमती है, जिनकी बैकग्राउंड और बिलीफ बिल्कुल अलग हैं। अमीर, गुस्से वाला और आत्मविश्वासी उदयपुर का बिजनेसमैन, अर्जुन सिंह राणावत और एक नॉर्मल मिडिल क्लास फैमिली की लड़की, चाहत। अर्जुन सिंह राणावत, एक सक्सेसफुल बिजनेसमैन जो अनुशासन और फैमिली वैल्यूज़ के अनुसार जीता है, उसकी मुलाकात चाहत से होती है। और अर्जुन को पहली नजर में ही चाहत से प्यार हो जाता है। दूसरी तरफ़ है द्वारका की एक फैमिली की लड़की, कृष्णा। कृष्णा जो किसी का भी मूड ठीक कर सकती है, खूब बात करती है,अपने ग्रुप की स्टार है, हर पल का आनंद लेती है, आत्मविश्वासी है। इन तीन व्यक्तियों का जीवन एक-दूसरे से जुड़ा हुआ है, तथा भाग्य एक धूर्त खेल खेलता है।