भूतकाल के चम्मच में ,
नींबू लेकर भविष्य का,
वर्तमान में है दौड़ना ,
ये है फलसफा इस लाइफ का ,।
कर्ज मांग कर घर है चलता,
शान बान में कमी ना करता ,
जिंदगी भर लोन है भरता ,
फिर भी ऐश में कमी ना करता,।
मध्यम वर्गीय लोगो का,
है यही हमेशा का हाल,
चाहे कितना भी रहे बेहाल
खुद को है वो राजा समझते ,।
दूसरो की खुशियों से जलते,
अपनी फटी को कभी ना देखे ,
दूसरे के दुख पर हंसते ,
यही जिंदगी है इनकी देखो,।
दिनेश दुबे (दुबे जी)