shabd-logo

क्या भरोसा

19 October 2022

14 Viewed 14
क्या भरोसा।

एक गजल आपकी  खिदमत में

क्रूरतम हाथों का संम्बल क्या भरोसा ।
आज सा स्नेह हो कल क्या भरोसा।।

बदलते  ऋतु  चक्र  का  सँदेश है ये।
पेड पर कल भी लगें फ़ल क्या भरोसा।।

मेघ ने अम्बर को पूरा ढक लिया है।
पर बरस जायेगा ये जल क्या भरोसा।।

अवनि पर फ़ैले हैं नटबरलाल इतने।
आँख से चोरी हो काजल क्या भरोसा ।।

सीच करके रक्त से जिसको बचाया।
कितने दिन का है धरातल क्या भरोसा।।

प्रश्न अनबूझे हैं जिनकी जिन्दगी के।
ढूढ पायेगें सभी हल क्या भरोसा।।

प्रणय का अनुबँध तुमने कर लिया पर।
क्या बचेगा माँ का आँचल क्या भरोसा।।

हर असम्भव आजकल लगता है सम्भव।
डूब जाये कब मरुस्थल क्या भरोसा ।।

कौन खलनायक बने नायक यहाँ पर।
कौन नायक बन पडे खल क्या भरोसा।।

प्रीत उसकी राधिका जैसी है रावत।
पर रहेगी प्रीत निश्छल क्या भरोसा ।।

रचनाकार
भरतसिंह रावत
भोपाल


More Books by Bharat Singh Rawat Kavi