राजा दशरथ की तीन पत्नियाँ थीं, कौशल्या, सुमित्रा और कैकई. कैकेयी सबसे छोटी पत्नी थीं और राजा दशरथ अपनी पत्नी कैकेयी से इतना प्यार करते थे कि वे जहाँ भी जाते थे, कैकेयी को अपने साथ ले जाते थे एक दिन राजा दशरथ शिकार के लिए गये और कैकयी भी दशरथ के साथ गयी. दूर जंगल में, राजा दशरथ को एक साँप ने काट लिया और वह बेहोश हो गए और कैकेयी ने मदद के लिए किसी को ढूंढने की कोशिश की लेकिन उन्हें कोई नहीं मिला इसलिए उन्होंने सारा जहर अपने शरीर में ले लिया और इस तरह उन्होंने राजा दशरथ को बचाया। राजा दशरथ जब भी प्रसन्न होते थे, वह वरदान मांगता था या कुछ इनाम देता था इसलिए उन्होंने कैकेयी को भी वही वरदान दिया और कैकेयी से कहा कि वह जो भी वरदान चाहती हो, मांग ले। तो कैकेयी ने कहा कि जब भी समय आएगा मैं वरदान मांग लुंगी तो इस तरह राजा के दो वरदान कैकेयी पे उधार हो गए और कैकेयी वरदान के बारे में भूल गईं
जब श्री राम ने सीता जी से विवाह किया और वापस अयोध्या लौटे तो माहौल में खुशियाँ छा गईं
कुछ वर्षों के बाद राजा ने अपने पुत्र भगवान राम को राज सिंहासन देने के बारे में सोचा क्योंकि भगवान राम राजा के सबसे बड़े पुत्र थे, तब माहौल में हलचल मच गई मंथरा जो कैकेयी की दासी थी, उसने कैकेयी के मन में गलत बातें डालना शुरू कर दिया और कैकेयी को दो वरदान मांगने के लिए मजबूर किया
कैकेयी अपने वरदान के बारे में भूल गई थी और उसे कभी इसकी कोई आवश्यकता नहीं थी लेकिन मंथरा ने कैकेयी को वरदान मांगने के लिए उकसाया तो कैकेयी ने सोचा कि यह वरदान माँगने का समय है
जब भी कैकेयी क्रोधित होती थी तो वह कोप भवन में चली जाती थी इसीलिए कैकेयी अपने कोप भवन में चली गईं और कैकेयी को मनाने के लिए दशरथ भी कैकेयी के पीछे-पीछे चल दिए .तब कैकेयी राजा दशरथ को अपने दो वरदानों की याद दिलाती है. राजा दशरथ ने कैकेयी से कहा कि तुम अपना दो वरदान मांग सकती हो, तब कैकेयी ने अपना वरदान मांग जिसके कारण दशरथ का निधन हो गया और भगवान राम वनवास चले गए.
वरदानों के बारे में सभी जानते हैं एक है भरत को राजगद्दी देना और दूसरा है भगवान राम को चौदह साल के लिए वनवास भेजना,
राजा दशरथ ने कैकये से बहुत प्रार्थना की कि भगवान राम को वनवास न भेजें और राजा दशरथ ने कहा कि वे भरत को राजगद्दी देंगे. उस समय राजा टूट गए और कुछ भी नहीं कह सके जब भगवान राम ने अपने पिता की हालत देखी तो वे दुखी हो गए. कैकेयी ने राम को सब कुछ बता दिया और भगवान राम वनवास के लिए निकल पड़े सीता और लक्ष्मण भी राम के साथ वनवास गये। राजा दशरथ कभी भी अपने पुत्र राम को वनवास नहीं भेजना चाहते थे लेकिन राहु काल में सदियों से चला आ रहा है प्राण जाए पर वचन ना जाए इसलिए अपने पिता के वचन को पूरा करने के लिए भगवान राम स्वयं वनवास के लिए चले गए जैसे ही राम वनवास के लिए निकले, राजा दशरथ का निधन हो गया
और इस तरह कैकेयी के दो वरदान पूरे हो गये