अध्याय पहला- 1990 से 1995 तक कि पूरी कहानी
जब में छोटा था मेरी उम्र 5 साल की थी हम ORISSA balesore में
रहते थे हम परिवार में 6 लोग थे हम तीन भाई और एक बहन जो सबसे बड़ी थी दीदी ये कहानी मेरे पूरे परिवार की है जो कैसे मुश्किलों का सामना करते थे ग़रीबी ने कभी भी हमरा साथ नई छोड़ा
हम ब्राह्मण है और मेरे पिताजी पूजा पाठ करवाते थे सादी करवाना
या कोई पूजा करवानी हो पुजारी का काम करते थे परिस्थिति खराब
होने की वजह से बड़ी दीदी ने पढ़ाई नहीं की में Sanjay joshi
सबसे छोटा था हमारे बड़े भाई ने हम दोनो छोटे भाई को पढाने के लिए पढ़ाई छोड़ दी बड़े भाई ने मजदूरों की तरह काम करना शुरू किया एक मिठाई की दुकान में काम करना शुरू किया जो सुबह
07:00 बजे से लेकर रात 10:00 बजे तक काम करने जाते थे
और उनकी पगार महीने की रू 700 थी और बड़ी दीदी ने कभी भी
किसी भी त्योहार में नए कपड़े नहीं पहने और पिताजी की कमाई
महीने में रू 500 थी और हम किराये के मकान में रहते थे और किराये महीना रू 400 था और सुनिये कहानी यहीं ख़तम नई होती
मेरी माँ 5 घरों के कपड़े बर्तन धोनी थी 1 घर के रू 200 मिलते थे
200×5=1000 ये एक रू 1000 मेरी माँ कमाती थी कुल कमाई
पूरे परिवार रू 2200 की थी इतनी कमाई में से घर का किराया
और पूरे महीने में 6 आदमियों राशन मेरी दीदी चूलें में खाना
पकाती थी बारिश में लकड़ी नहीं मिलती थी तो स्टोव में खाना
पकाती थी फिर स्टोव में केरोसिन का खर्चा होता था और दीदी
जवान हो चुकी थी फिर पिताजी को उसकी सादी की चिंता लगी रहती थी एक दिन पिताजी चल पड़े सफेद कागज और पेन लेकर हर
जितने भी पहचान वाले थे ऊन सभी के घर जा कर कहने लग
गए कि बेटी की शादी करवानी है कुछ मदद करो तो वहा से सुरु
एक बाप के लिए जवान बेटी का सादी का सिलसिला 3 महीने
तक पिताजी घूमें पदयात्रा में रिस्तेदार के सभी लोग को कहें दिये
बेटी की शादी करनी कोई रिसता हो तो बताई गा 3 महीने तक घूम घूम के पेर में छाले पड गये चपल घिस गये बड़ी मुश्किल के बाद
पैसो का इंतजाम हुआ वो भी रू 12000
किसीने रू 10 दिये किसीने रू 50 दिये तो किसीने रू 100 दिये
किसीने साड़ी दी किसीने चूडी उसके बाद ठीक 5 महीने बाद
गुजरात से मेरे मामाश्री का फोन आया मामा कहा आपकी बेटी के लिए रिश्ता देखा है हमने आप बेटी को लेकर आजाइये फिर गये
मेरी माँ और मेरी दीदी मामा के घर पिताजी की चिंता और
बड गई अगर सादी पक्की हो गई तो चिंता और बढ़ेगी क्योंकि
मामा ने कहा भांजी को यही पर छोड़ दी जिए पूरी जवाबदारी मेरी
मेरी माँ ने दीदी को वहीं पर छोड़ दिया और मेरी माँ वापस आगई
और 1 महीना के बाद मामा का फोन आया सादी पक्की हो गई
पिताजी की चिंता बढ़ गई सादी के खर्च के लिए उतने पैसो इंतजाम
नहीं हुआ है पिताजी सोच में पड़ गए अब क्या करूँ मेरे मामा ने कहा
सादी के खर्च के बारे मे आप बिल्कुल चिंता मत कीजिए आप सिर्फ
यहां आजाये ये खर्च में पूरा देख लूँगा
आगे दूसरा अध्याय में....................