सब लोग सो रहे हे
मोहसिन और फैजान भी अपनी दादी के कमरे में सो रहे हे तभी दरवाजा खटखटाने की आवाज आती हे।
दादी ने फैजान को दरवाजा खोलने को कहा दरवाजे के बाहर यास्मीन(मां) थे जो स्कूल का टाइम होने पर दोनो भाइयों को जगाने आए थे।
दो महीनो कि छुट्टी के बाद आज स्कूल खुलने वाली थी।
यास्मीन : फैजान मोहसिन चलो उठो बेटा स्कूल का टाइम हो गया हे (प्यार से)
मोहसिन : (निंदमे) हा मम्मी हमे पता हे आज स्कूल जाना हे
फैजान : मम्मी मेरे लिए चाय रोटी और पापड़
यास्मीन : हा बेटा पहले तुम दोनो भाई ब्रश करलो और नहालो
दोनो भाई नहाने चले जाते हे
यास्मीन जी कीचन में नाश्ता बना रहे हे।
दादी : बहु मेरे लिए भी नाश्ता बना दो में भी अभी उठ गई हूं (प्यार से)
यास्मीन जी : हां मां
दोनो भाई नहा के किचन में नाश्ता करते हुवे
फैजान मोहसिन से : भाई इस बार पढ़ाई में ध्यान दे देना खाली स्कूल जाने से कुछ नही होता, जो पढ़ाई किए हो उसको दिमाग में भी लेना परता हे और एग्जाम में कुछ लिखना पढ़ता है,वो तो अच्छा हे की सब लोग तुमसे इतना प्यार करते हे इसलिए चलता हे अगर फेल भी हो जाओतो।
मोहसिन फैजान से : भाई मेरी फिकर मत करो अपनी दसवीं पे ध्यान दो अगर फेल होगायेना तो कोई मजदूरी का काम भी नही मिलेगा।
फैजान : भाई तू अगर फेल होगया तो में तूझे काम पर रखलूंगा (चिढ़ाते हुवे)
मोहसिन : ऐसी नोबत नही आयेगी भाई
चलो अभी नाश्ता कर लो स्कूल का टाइम हो गया हे (यास्मीन जी दोनो को शांत कराते हुवे)
तब ही पीछे से दादी भी दोनो की बातें सुनते हुवे "किसी को नोकरी करने की जरूरत नहीं ही तुम दोनो भाई खुदका अपना कुछ अच्छा ही देखलोगे बस पढ़ाई पे ध्यान देना।
तुम दोनो भाई एक दूसरे की जान हो तुम हे ऐसा जगरना नही चाहिए चलो मोहसिन अपने बड़े भाई से माफी मांगो (दादी दोनो भाई को आदेश देते हुवे)
मोहसिन अपने भाई को गले लगाते हुवे : मुझे माफ करदो भाई लेकिन में तुम्हे मजदूरी करते हुवे देख नही पाऊंगा (हंसते हुए)
दोनो भाई मुस्कुराते हुवे स्कूल के लिए रवाना हो गए।
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यास्मीन जी मेहबूब जी को जागते हुवे : आप भी उठ जाइए आप का दुकान जाने का टाइम हो गया हे।
मेहबूब जी : उन दोनो को स्कूल भेज दिया
यास्मीन जी : हां
मेहबूब जी : स्कूल से आने के बाद दोनो में से किसी एक को दुकान पे भेज देना क्योंकि होली का टाइम हे और ग्राहक बहोत ज्यादा हे तो किसी को भेज देना।यहीं तीन महीने तो थोड़ा धंधा अच्छा चलता हे बाद में तो बारिश के टाइम पे तो थोड़ा धंधा कम होजता हे।
यास्मीन जी : हा, में भेज दूंगी मुझे पता हे आप को कितना टेंशन रहता है बच्चो की स्कूल की फीस घर के खर्च.
मेहबूब जी ; ऐसा कुछ नही है ऊपर वाला यहां तक लाया हे तो आगे भी वही लेके जायेगा (ऊपरवाले का शुक्रिया करते हुवे)
यास्मीन जी : आप का नाश्ता लगा दु?
मेहबूब जी : हां
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फैजान के दोस्त
फैजान के तीन दोस्त थे जिनका नाम *** ताहिर, सरजील, तासीन
***ताहिर की कहानी***
ताहिर फैजान का बहोत ही अच्छा दोस्त था वो उससे है के काफी मजाकिया था।
ताहिर के पापा की सामान उठाने वाली गाड़ी थी जिससे वो अपना परिवार चलाते थे।
ताहिर भी पढ़ने में काफी होशियार था लेकिन उसे स्कूल के सब बच्चो को देखकर मन ही मन ईर्षा होती थी क्योंकि उसके पिता भी मिडिल क्लास थे वो दूसरे बच्चो से हमेशा अपने आप को कंपेयर करता।
ताहिर भी फैजान की तरह किराए के मकान में रहता था लेकिन उसकी मां का परिवार बोहोत ही खुशाल और अमीर था।
फैजान स्कूल के लंच टाइम पे ताहिर के साथ उसके घर लंच करने चले जाता।
ताहिर का घर तो बड़ा नही था लेकिन उसके मां बाप का दिल बहत बड़ा था।
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***सरजिल की कहानी**
सरजिल भी फैजान का बेहत अच्छा दोस्त था वो बेहत शांत और शर्मिला था।
सरजील के पापा एक कंपनी में काम करते थे उनकी तनख़ा बेहत अच्छी थी और वो बड़े ईमानदार आदमी थे।
सरजील का खुद का घर था।
सरजिल पढ़ाई में होशियार था लेकिन वो कभी न कभी अपने मन में किसी चीज को लेकर परेशान सा रहता था,उसको भी ताहिर की तरह सब एक्सपेंसिव चिज़ो का शोख था,
शायद वो मन ही मन फैजान से नाराज़ था
***तासिन की कहानी***
तासिन् भी फैजान का अच्छा दोस्त था वो अपने स्कूल का सबसे माचो मैन था।
तासिन के पापा कपड़ो के टेलर थे उनकी टेलर की दुकान थी।
लेकिन तासिन महंगे महंगे कपड़े और बाइक लेके स्कूल आता था।
तो क्या हे सब का राज जानने के लिए आगे पढ़े।
धन्यवाद।