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*मेरी स्वलिखित सबसे पसंदीदा पंक्तियाँ* सीखी थी परवाज़ उसने अभी अभी,नहीं थे पर जब तक सोचता था,उड़ूँगा एक दिन खुले आसमानों पर, नदियों सागरों और हरे मैदानों पर, उड़ने को पर मिल गए हैं आज,&nbs