"AI 2050: एक नई सभ्यता का उदय" 2050 की उस दुनिया में ले जाता है, जहाँ स्लम की गलियाँ ढोल की थाप से गूँज रही हैं और मशीनें आसमान से लेज़र बरसा रही हैं। अनिका अपने सिम-पौधों से भूख को ललकारती है, प्रिया की रोटियाँ कोड को चुनौती देती हैं, और विक्रम का ढोल माया को भगा देता है। यह AI और इंसान की जंग की कहानी है—जहाँ माया स्लम को VR में कैद करना चाहती है, लेकिन मिट्टी का जोश उसे मात देता है। क्या मशीनें जीतेंगी, या ढोल की धूम? यह किताब एक चेतावनी है—अगर हम मिट्टी भूल गए, तो कोड हमें निगल लेगा। और यह एक आह्वान है—आओ, भविष्य को अपने ढंग से नचाएँ! नितीश वर्मा की यह रोमांचक काल्पनिक कहानी तकनीक और संस्कृति का अनोखा मेल है। ढोल पीटो, मज़ा लो!