बहुत कुछ देना चाहता था उसको,
पर दगा दे गई मुझको
मेरी लाचारी और मेरी बीमारी
वो जान से भी बढ़कर थी मुझे प्यारी
लेकिन निभा ना सका मैं उससे अपनी यारी ।
काट खाने को दौड़ती है ये रात
किसी से कहूं में अपने मन की बात
लेकिन जैसी ही नया सवेरा हुआ
अंतिम क्षणों में बस दें गया एक दुआ ।
क्योंकि मेरे पास बस देने को थी दुआ और दुआ।