कुछ पल में ये मंजर डूब जाएगा
मैं वो कतरा कि जिस में समंदर डूब जाएगा।
जो पूछना है पूछ लो अपने खुदा से तुम
देर कर दी कि मस्ती में कलंदर डूब जाएगा।
बहर में उठ रहे तूफ़ान से डरने का क्या मतलब
अपने आप में खुद ही,बबंडर डूब जाएगा।
उठती मौज बन जा तू ज्वार जीवन का
किनारे पर खड़ा शायर दीदावर डूब जाएगा।
मेरे रंग में रंगकर निखर जाएगा रंग तेरा
मेरे दर्दो गम में जो तू ऐ दिलबर डूब जाएगा।
लेखक✍️ अनुराग पंडित