Meaning of धनी in English
- Flowing to; flowing abundantly.
- Abundant; copious; plenteous; hence, wealthy; abounding in goods or riches.
- A stream or river flowing into a larger river or into a lake; a tributary stream.
- A king of Lydia who flourished in the 6th century b. c., and was renowned for his vast wealth; hence, a common appellation for a very rich man; as, he is a veritable Croesus.
- Supplied with money; having money; wealthy; as, moneyey men.
- Converted into money; coined.
- Consisting in, or composed of, money.
- See Moneyed.
- Having a large estate or property; wealthy; rich; affluent; as, an opulent city; an opulent citizen.
- Possessing property; holding real estate, or other investments of money.
- Having an abundance of material possessions; possessed of a large amount of property; well supplied with land, goods, or money; wealthy; opulent; affluent; -- opposed to poor.
- Hence, in general, well supplied; abounding; abundant; copious; bountiful; as, a rich treasury; a rich entertainment; a rich crop.
- Yielding large returns; productive or fertile; fruitful; as, rich soil or land; a rich mine.
- Composed of valuable or costly materials or ingredients; procured at great outlay; highly valued; precious; sumptuous; costly; as, a rich dress; rich silk or fur; rich presents.
- Abounding in agreeable or nutritive qualities; -- especially applied to articles of food or drink which are high-seasoned or abound in oleaginous ingredients, or are sweet, luscious, and high-flavored; as, a rich dish; rich cream or soup; rich pastry; rich wine or fruit.
- Not faint or delicate; vivid; as, a rich color.
- Full of sweet and harmonius sounds; as, a rich voice; rich music.
- Abounding in beauty; gorgeous; as, a rich landscape; rich scenery.
- Abounding in humor; exciting amusement; entertaining; as, the scene was a rich one; a rich incident or character.
- To enrich.
Meaning of धनी in English
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- #lyrics #bhojpuri फासला बढ़ावs जनी, हमरी गुजरिया..
उमरिया जवानी के, आ भरल ना नजरिया....
फासला बढ़ावs जनी , हमरी गुजरिया.. ...
अभी पुरा भईल नईखे, दिलवा के बतिया ।
भोर भईले बीती गईले, छन से ई रतिया । ।
मानी कईसे मानवा के ,चढलि खुमरिया..
फासला बढावs जनी, हमरी गुजरिया.....
पुनम् के चांद जईसे, रुपवा अंजोरिया ।
बोलिया सुनी शर्मायी रे गईली, कोईलरिया ।।
जिया करे देखती रहीं, तोहरी सुरतिया .....
फासला बढ़ावs जनी, हमरी गुजरिया.....
भईले बरिष रोजे ,देखत रहीं जो सपानावा ।
आज पाके तोहे पुरा भईले, दिल के अरमानवा ।।
फुरसत मे गढ़ले बाड़े, तोहरी शरीरिया...
फासला बढ़ावs जनी, हमरी गुजरिया... ..
बड़ी सुनर लागे धनी, धानी रंग के चुनरिया ।
राम करे गुजरे नाही, तोहरी उमरिया ।।
घटा बनी सजल रहे, प्रीत के बदरिया...
फासला बढ़ावs जनी, हमरी गुजरिया.....
✍️ Author Munna Prajapati
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नोट:- यदि आप इस गीत को व्यापारिक तौर पर रिकॉर्ड करके रिलीज करना चाहते हैं तो कर सकतें हैं परंतु हमारी अनुमति लेने के बाद । हमारी अनुमति अनिवार्य है । धन्यवाद🙏
- #poetry शिर्षक :" हम बेवक़्त मे वक़्त के गुजारे निकले "
हम बेवक़्त मे वक़्त के, गुजारे निकले,
वो जीत गए हमसे और, हम हारे निकले ।
हो गया कोई धनी इश्क़ के बाजार में,
जो भी थे मेरे हिस्से मे, खसारे निकले ।
हम उन्हे ढूढ़ते रहे, समंदर के भवर में,
और वो हमे छोड़कर, किनारे निकले ।
हमारा वजूद मिट गया होता मगर..
कसहुँ...हम तिनकों के सहारे निकले ।
हम सोचते थे उनका सब कुछ, हम ही हैं,
जरा नाराज हुए, उनके अपने हजारों निकले ।
लगा जन्नत मिल गयी उन्हे, दोलत पाकर,
दिनों बाद सड़क पर, हाथ पसारे निकले ।
जोरों से प्यास लगी, बुझाने को लपका,
पीने गया, पानी, समंदर जस खारे निकले ।
नजरें झुकी, ख़ाबों मे भर के खजाने मिले,
और खुली तो...औरों के नजारे निकले ।
जो देखा एक मर्तबा, खुली आसमॉं के तरफ,
सांसे रुकी और... मौत के इशारे निकले ।
दौलत की चाह ने ,उनपर शिकस्त किया,
लगी खंजर उनके सीने मे,जान हमारे निकले ।
✍️ Author Munna Prajapati
#life #love #writing #virals #sad #post #safar #poem #poetrylovers #poets
- #lyrics #devigeet आवs तारी देवी मईया...
F- आईल नवरतन आवs, तारी देवी मईया... २
निमिया झुमेला तबा तोर...
ए सईया तु हूँ...पियरी पहिर् लs.... २
सुनाला जयकारा माई के, चारु ओर... २
M- झुलुहा लगायी दिहि, निमिया के छईंया... २
धरs तुहुं चुनरी के कोर....
पउआ पाखारsब माई के, झुलुहा झुलाईब्... २
मान्गब वर दुनु कर जोर..... २
F- घरे-घरे गावे-गावे , पुजेला शहरिया
भगती के धुन में तs, झुमेला नगरिया...
ए राजा गंगाजल से तू ,भर लs गगरिया
मानवा धेयान् राह, ताकेला नजरिया..
दिहे आशीष मईया, होईहे सहईया... २
होई जायीब हमहुँ लरकोर.....
ए सईया तु हूँ.. पियरी पहिर लs.... २
सुनाला जयकारा माई के, चारु ओर... २
M- माई के मुरती जईसे, साचो मे बुझाला,
किरपा करेली उहावा, अजोर होई बरसेला...
लिलारा के बिंदिया माई के, सुरूज बुझाला,
मन मे बसावते दुखवा, दूर होई जाला...
देरी जनि करs तु लिपाई लs अंगनावा.... २
जनी करs धनी मन थोर......
F- ए सईया तु हूँ.. पियरी पहिर् लs.. २
सुनाला जयकारा माई के, चारु ओर...
M- आईल नवरातर आवs, तारी मोरी मईया.. २
निमिया झुमेला तबा तोर....
F- ए सईया......... सुनाला.......
~ मुन्ना प्रजापति
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नोट : यदि आप इस गीत को व्यापारिक तौर पर रिकॉर्ड करके रिलीज करना चाहते हैं तो कर सकतें हैं परंतु हमारी अनुमति लेकर, हमारी अनुमति अनिवार्य है । धन्यवाद🙏 078978 68625
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